मौजूदा अप्रैल-मार्च की जगह जनवरी-दिसंबर हो सकता है वित्त वर्ष

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  • 2019 से शुरू हो सकती है नई व्यवस्था
  • इस दिशा में आगे बढ़ रही है सरकार
  • मोदी ने मुख्यमंत्रियों से इस पर विचार करने को कहा 

नई दिल्ली।  केंद्र सरकार वित्त वर्ष की मौजूदा अवधि में बदलाव करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। यानी वह वित्त वर्ष जनवरी में शुरू करके दिसंबर में समाप्त करना चाहती है। अभी सरकार का वित्त वर्ष अप्रैल में शुरू होकर मार्च में समाप्त होता है।

शीर्ष सरकारी सूत्रों के मुताबिक यह बदलाव धीरे-धीरे होगा। इसकी शुरुआत अगले साल आम बजट से होगी जिसे एक महीने पहले जनवरी में पेश किया जा सकता है। यह वित्त वर्ष में बदलाव के लिए जमीन तैयार करेगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘वित्त वर्ष में बदलाव का सबसे बेहतरीन संकेत आम बजट को पहले पेश करने से मिलेगा। इससे यह साफ होगा कि सरकार वित्त वर्ष में बदलाव की अपनी योजना पर आगे बढ़ रही है।’

अलबत्ता अभी तक यह साफ नहीं है कि आम बजट को जनवरी की शुरुआत में पेश करने से अगले वर्ष से ही जनवरी-दिसंबर वित्त वर्ष का रास्ता साफ होगा या नहीं। इसके लिए आम बजट को दिसंबर में ही पेश करने की जरूरत पड़ेगी। इसलिए नए वित्त वर्ष की व्यवस्था को जनवरी 2019 से लागू किया जा सकता है।

केंद्र सरकार इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर एन आचार्य की अगुआई वाली विशेषज्ञ समिति ने मौजूद वित्त वर्ष में बदलाव का समर्थन नहीं किया था। समिति के सुझावों पर अभी विचार किया जा रहा है लेकिन सरकार बदलाव के पक्ष में है और इस मुद्दे पर विभिन्न लोगों की राय लेनी शुरू कर दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्रियों से कहा था कि उन्हें वित्त वर्ष चक्र  में बदलाव के सुझाव पर गौर करना चाहिए और इसे लागू करने के लिए केंद्र को सुझाव देने चाहिए। आदर्श स्थिति तभी बनेगी जब राज्य सरकारें भी जनवरी-दिसंबर वित्त वर्ष को अपनाएं। अगर केंद्र जनवरी-दिसंबर वित्त वर्ष को अपनाता है तो राज्यों को भी ऐसा ही करना होगा।