मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में फिर गूंजेगी बाघ की दहाड़, मिलेगा पर्यटन को बढ़ावा

0
141
रणथंभौर से भेजा गया बाघ टी-110

कृष्ण बलदेव हाडा-

कोटा। राजस्थान में कोटा और झालावाड़ जिलों और चित्तौड़गढ़ के रावतभाटा क्षेत्र में विस्तृत मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में एक बार फिर से बाघ की दहाड़ सुनाई देगी। क्योंकि सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भोर नेशनल पार्क से एक बाघ को यहां लाया गया है। हालांकि, मुख्यमंत्री के बारां प्रवास पर होने के कारण बाघ के रणथम्भोर से कोटा स्थानांतरित किए जाने के बारे में अभी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। जबकि, बाघ को गुरुवार को तीसरे पहर 3 बजे के बाद ही कोटा लाया जा चुका है।

हाल के सालों में मुकुंदरा हिल्स में चार बाघ-बाघिन और उनके दो शावक थे, लेकिन अब केवल यही इकलौती बाघिन-एमटी-4 बची है, जिससे जोड़ा बनाने के लिए आज से रिजर्व एरिया में एक ओर बाघ को बसाने की प्रक्रिया शुरू होगी। पहले उसे मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के माहौल से अभ्यस्त कराने का प्रयास किया जायेगा । मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को फिर से बाघों से आबाद करने के लिए सवाई माधोपुर के रणथम्भोर नेशनल पार्क से एक बाघ टी-110 को कोटा लाया गया है।

यहां मिली जानकारी के अनुसार इस बाघ को आज सुबह रणथम्भोर नेशनल पार्क में ट्रेंकुलाइज किया गया और उसके बाद मेड़िकल टीम ने उसकी स्वास्थ्य की जांच की जिसमें वह स्वस्थ पाया गया। उसके बाद मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की टीम अपने साथ लेकर कोटा के लिए रवाना हो गई थी। उल्लेखनीय है कि दीपावली के पहले से ही रणथम्भोर नेशनल पार्क में इस बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन सफलता नहीं मिलने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था।

दीपावली के अवकाश की समाप्ति के बाद एक बार फिर से कोटा से मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की टीम रणथम्भोर पहुंची और पिछले तीन-चार दिनों से इस बाघ को ट्रेंकुलाइज करने का प्रयास किया जा रहा था, जिसमें सफलता आज सुबह जाकर हासिल हुई।

फिलहाल यह बाघिन एमटी-4 एकाकी जीवन जी रही है। कुछ साल पहले तक मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में चार बाघ-बाघिन आबाद थे, लेकिन वर्ष 2022 में एक बाघ और एक बाघिन की मौत के बाद केवल एक बाघिन ही बची है क्योंकि दो शावक भी मर चुके है व एक बाघ अचानक लापता हो गया जिसके बारे में आज तक भी पता नहीं चल पाया है कि उसका क्या हुआ, लेकिन आशंका भी जताई जाती है कि उसकी मौत हो चुकी है।

कोटा के स्वयंसेवी संगठन पगमार्क फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाडा ने कोटा और झालावाड़ जिले में विस्तृत मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में आबाद करने के लिए रणथम्भोर नेशनल पार्क से बाघ टी-110 को कोटा लाए जाने के फैसले का स्वागत किया है और इसके लिए राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है।

देवव्रत हाडा ने कहा कि मुकुंदरा हिल्स के वन्यजीव एवं पर्यावरण संरक्षण सहित पर्यटन विकास की संभावनाओं के मद्देनजर राज्य सरकार का यह फैसला एक सराहनीय कदम है जिसके तहत आज मुकुंदरा हिल्स में रणथम्भोर से यह बाघ लाकर यहां बसाया जा रहा है। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बाघ-बाघिन के आबाद होने व निकट भविष्य में इनकी संख्या में उतरोत्तर बढोतरी होने से न केवल यहां पारिस्थितिकी-पर्यावरण संरक्षण होगा, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। शिक्षित युवाओं के लिये रोजगार के नए अवसरों का सृजन होगा।

हाडा ने कहा कि निकट भविष्य में कोटा वन्यजीव पर्यटन की दृष्टि से रणथम्भोर एवं सरिस्का के साथ राजस्थान के तीसरी प्रमुख केंद्र के रूप में उभरेगा। साथ ही इससे बूंदी जिले के नव विकसित रामगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में वाइल्ड लाइफ टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा और निश्चित रूप से इससे बूंदी जिले के लोगों के लिए भी रोजगार के नए द्वार खुलेंगे।

देवव्रत हाडा ने राज्य सरकार से अनुरोध किया कि मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की दरा अभयारण्य एनक्लोजर वाले क्षेत्र को उपेक्षित नहीं किया जाए। इस क्षेत्र के विकास पर राज्य सरकार ने पिछले कुछ सालों में कई करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसके बावजूद एनक्लोजर को सुरक्षित बनाए रखने की दृष्टि से सार्थक प्रयास नहीं किए जाने के कारण आज दरा एनक्लोजर का एक बड़ा हिस्सा चरागाह में तब्दील हो गया।

उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वन मंत्री से अनुरोध किया कि वे मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा एनक्लोजर क्षेत्र की सुरक्षा के चाक-चौबंद बंदोबस्त करे, ताकि यह इलाका चरागाह नहीं बन पाए और भाविष्य में बाघ-बाघिनों की आबादी के विस्तार की दृष्टि से इस एनक्लोजर का भरपूर उपयोग किया जा सके।