भक्ति की पाठशाला में भावी डाॅक्टर-इंजीनियर्स को मिली संस्कारों की सीख

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कोटा। कॅरियर सिटी कोटा में इंजीनियर व डाॅक्टर के रूप में कॅरियर बनाने के लिए अध्ययनरत देशभर के लाखों विद्यार्थियों के लिए यह बाल दिवस यादगार बन गया। एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट द्वारा इस दिन विद्यार्थियों के लिए अनूठा आयोजन किया गया, एक ऐसा कार्यक्रम जिसमें कॅरियर के साथ-साथ विद्यार्थियों को संस्कार, संस्कृति, अध्यात्म, ध्यान और धैर्य का पाठ पढ़ा गया।

विद्यार्थियों के लिए भक्ति की यह मेगा पाठशाला एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट द्वारा संस्कार महोत्सव के रूप में आयोजित की गई। महोत्सव में दो दिन में करीब एक लाख विद्यार्थी, अभिभावक, शिक्षक और शहर के गणमान्य लोग शामिल होंगे। पहले दिन कार्यक्रम लैंडमार्क सिटी में संज्ञान कैम्पस के पास हुआ।

यहां फिजिक्स, कैमेस्ट्री, मैथ्स और बाॅयलोजी के सवालों में उलझे रहने वाले विद्यार्थियों को इस बाल दिवस पर संस्कारों की सीख मिली। विद्यार्थियों को यहां जीवन की फिजिक्स, धैर्य की मैथ्स, अध्यात्म की कैमेस्ट्री और ध्यान की बाॅयलोजी भक्ति भजनों के साथ पढ़ाई गई। आनन्द इतना बरसा कि विद्यार्थी खुशियों से झूम उठे।

भक्ति और विज्ञान का यह अनूठा संगम विद्यार्थियों को अध्यात्म और ध्यान से जोड़ने के लिए रहा। कार्यक्रम में श्री तिरूपति बालाजी का कल्याणोत्सव की तर्ज पर भगवान लक्ष्मी-वेंकटेश का विवाहोत्सव वैष्णव परंपरा के अनुसार मनाया गया। कार्यक्रम में शास्त्रीय गायिका सूर्यागायत्री ने गुरूवंदना प्रस्तुत की तथा एलन के पूर्व छात्र पीयूष पंवार ने देशभक्ति गीत भी गाए।

संस्कार ही जीवन का आधार: घनश्यामाचार्य महाराज
कार्यक्रम में श्री झालरिया पीठाधिपति जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज ने विद्यार्थियों को धर्म, धैर्य, ध्यान की सीख देते हुए कहा कि संस्कार महोत्सव यानी संस्कारों की सीख देने के लिए आयोजित किया जाने वाला महोत्सव, संस्कार ही हैं जो हमारे जीवन का मार्गदर्शन करते हैं, हमारे चरित्र को निर्मल रखते हैं, हमें कर्तव्यपरायणता की याद दिलाते हैं।

आज शिक्षा तो मिल रही है लेकिन संस्कार का हास हो रहा है जो हमारे लिए अच्छा नहीं है। शिक्षा के साथ संस्कार बहुत जरूरी है, क्योंकि हमारे संस्कारों ही हमें परिवार, समाज, देश के प्रति जवाबदेह बनाते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी संस्थान, समाज, देश या प्रदेश किसी एक व्यक्ति की मेहनत का नतीजा नहीं होता। हम आज जो सुख भोग रहे हैं, ये हमारे अच्छे कर्म ही हैं।

गाजे-बाजे से पधारो रंग जी आज
कार्यक्रम की शुरूआत भक्ति गीतों के साथ हुई। इंस्टीट्यूट के निदेशक गोविन्द माहेश्वरी ने गणपति वंदना के साथ भजनों की शुरूआत की। इस अवसर पर एलन परिवार की मातुश्री कृष्णादेवी मानधना भी मौजूद रहीं। निदेशक राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी व बृजेश माहेश्वरी ने भी भजन गायन में साथ दिया।

एक के बाद एक भक्ति भजन प्रस्तुत किए, जिन पर विद्यार्थियों के झूमने का सिलसिला शुरू हो गया। झांकियां और आकर्षक नृत्य के बीच खूब पुष्पवर्षा भी हुई। यहां गाजे-बाजे से पधारो रंग जी आज….., झुक जाओ श्रीरंग जी नाथ झुकनो पड़ सी….., छोटी-छोटी गईया छोटे छोटे ग्वाल….., छम-छम नाचे देखो वीर हनुमाना….. सहित कई भजनों पर विद्यार्थी झूमे।