बिजली के स्मार्ट मीटर जाँच में तेज नहीं मिले, केईडीएल का दावा

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कोटा।  शहर में भले ही बिजली के स्मार्ट मीटर का विरोध बढ़ता जा रहा है, लेकिन बिजली कंपनी केईडीएल ने एक बार फिर इन मीटरों के तेज चलने को गलत बताया है। सीओओ अभिजोय सरकार ने कहा कि स्मार्ट मीटर के कई फायदे हैं। उपभोक्ता हर 15 मिनट में बिजली खपत को अपने मोबाइल पर देख सकता है।

उपभोक्ता के घर बिजली बंद हो जाती है तो स्मार्ट मीटर से कंपनी के पास बिजली जाने पर सूचना तुरंत पहुंच जाती है। कंपनी को ये भी पता चल जाता है कि बिजली उसी उपभोक्ता के घर की बंद हुई है या उस ट्रांसफार्मर या पूरे इलाके की बंद हुई है। इससे समस्या के निवारण में समय कम लगता है।

सीओओ सरकार ने बताया कि केईडीएल ने उपभोक्ताओं की स्मार्ट मीटर के तेज चलने की भ्रांति को दूर करने के लिए समय-समय पर कई प्रयास किए हैं। केईडीएल ने 10 स्मार्ट मीटर, भारत सरकार की राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा। वहां ये सभी मीटर टेस्ट में सही पाए गए।

इसके अलावा केईडीएल ने शहर में 170 प्रतिष्ठित उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर के साथ चेक मीटर भी लगाए। करीब 3 महीने तक की इन सभी 170 उपभोक्ताओं के दोनों मीटरों की जांच की गई तो दोनों मीटरों की रीडिंग में कोई अंतर नहीं आया।

उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर से रीडिंग अधिक नहीं आने के प्रति पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद 130 चेक मीटर हटा लिए गए। 40 चेक मीटर अभी भी शहर में लगे हुए हैं। जयपुर डिस्कॉम ने भी लगभग 50 स्मार्ट मीटरों की जांच अपने अभियंताओं से करवाई और वे सभी स्मार्ट मीटर सही पाए गए।

केईडीएल ने उपभोक्ताओं की संतुष्टि के लिए राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला बोर्ड की और से प्रमाणित, देश की सबसे प्रतिष्ठित एवं स्वतंत्र, इलेक्ट्रिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एसोसिएशन की मोबाइल वैन जांच टीम को कोटा में बुलाया। उपभोक्ताओं की शिकायत वाले स्मार्ट मीटरों की उनके सामने उन्हीं के घर पर ही जांच के लिए बुलाया।

सरकार का दावा है कि इस मोबाइल वैन टीम ने 6 महीने में 250 मीटर की स्वतंत्र जांच की, जिसमें एक भी स्मार्ट मीटर खराब या तेज गति से चलता हुआ नहीं मिला। इनकी रिपोर्ट केईडीएल के पास उपलब्ध है।

पुराने मीटरों की अपेक्षा 0.02% कम खपत आई
केईडीएल ने जिन 43 हजार उपभोक्ताओं के पुराने मीटर बदलकर स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, उनकी खपत जनवरी 2017 से जुलाई 2017 तक 4 करोड़ 47 लाख 38 हजार 555 यूनिट थी, जबकि उनके स्थान पर स्मार्ट मीटर लगने के बाद जनवरी 2018 से जुलाई 2018 तक खपत 4 करोड़ 47 लाख 28 हजार 754 यूनिट ही रह गई, जो 0.02 प्रतिशत कम है।