पेट्रोल-डीजल पर किस सरकार की कितनी कमाई, जानिए कैसे

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नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी पर जारी सियासी संग्राम के बीच सोमवार को तेल की कीमतें फिर बढ़ गईं। दिल्ली में अब पेट्रोल 23 पैसा महंगा होकर 80.73 रुपये लीटर, जबकि डीजल 22 पैसा बढ़कर 72.83 रुपये लीटर हो गया है।

कोलकाता में पेट्रोल 83.61 रुपये, मुंबई में 88.12 रुपये और चेन्नै में 83.91 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। कोलकाता, मुंबई और चेन्नै में डीजल की कीमतें क्रमशः 75.68 रुपये, 77.32 रुपये और 76.98 रुपये है।

 कांग्रेस नीत यूपीए गठबंधन के 2004 से 2014 के शासनकाल में पेट्रोल की कीमत 75.8% जबकि डीजल का दाम 83,7% बढ़ा था जबकि मई 2014 में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन के सत्ता में आने के बाद से अब तक पेट्रोल प्राइस सिर्फ 13% जबकि डीजल प्राइस महज 28% बढ़ी है।  यूपीए और एनडीए की सरकारों में दिल्ली में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में किसने कितनी कमाई की और दोनों के शासनकाल में इनके दाम में कितने प्रतिशत का इजाफा हुआ…नीचे के टेबल से समझें—-

आखिर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में महंगाई की वजह है क्या और आप तेल के लिए जो कीमत चुकाते हैं, वह आखिर बंटता कैसे है, आइए समझते हैं…

किसका, कितना हिस्सा?
पेट्रोल-डीजल के नित नए रेकॉर्ड छूने से राष्ट्रव्यापी बहस छिड़ गई है और प्राथमिक तौर पर केंद्र सरकार ही इन बहसों के केंद्र में रहती है। हालांकि, हकीकत कुछ और है। केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर एक्साइज ड्यूटी वसूलती है, जबकि राज्य सरकारें अलग-अलग दर से वैट लगाती हैं।

एक्साइज ड्यूटी और वैट की दरों पर नजर डालने पर स्पष्ट हो जाता है कि पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान पर पहुंचाने में राज्य सरकारों की भूमिका कहीं भी कम नहीं है। आइए समझते हैं क्रूड ऑइल के भाव से लेकर आप तक पहुंच पेट्रोल-डीजल की दरों के पाई-पाई का हिसाब…

प्रति लीटर कच्चे तेल की कीमत
10 सितंबर 2018 को इंडियन बास्केट के कच्चे तेल की कीमत 4,883 रुपये प्रति बैरल है। चूंकि एक बैरल में 159 लीटर होता है, इसलिए प्रति लीटर कच्चे तेल की कीमत है- 4,883 ÷ 159 = 30.71 रुपये।

टैक्स से पहले की कीमतें
विदेशों से आए क्रूड ऑइल की खेप भारत की रिफाइनरीज में पहुंचती है। यहां तक पहुंचने और रिफाइन होने के बाद पेट्रोल पंपों तक पहुंचने में कुछ लागत आती है। इसका आंकड़ा इस प्रकार है- एंट्री टैक्स, रिफाइनरी प्रोसेसिंग, लैंडिंग कॉस्ट एवं मार्जिन समेत अन्य ऑपरेशन कॉस्ट पेट्रोल पर 3.68 रुपये, डीजल पर 6.37 रुपये प्रति लीटर। इस तरह अब पेट्रोल की कीमत हुई 30.71 रुपये + 3.68 रुपये = 34.39 रुपये, जबकि डीजल की कीमत 30.71 रुपये + 6.37 रुपये = 37.08 रुपये हो गई।

फिर प्रति लीटर पेट्रोल पर 3.31 रुपये और प्रति लीटर डीजल पर 2.55 रुपये ऑइल मार्केटिंग कंपनियों की मार्जिन, ढुलाई और फ्रेट कॉस्ट आती है। यानी अब प्रति लीटर पेट्रोल 34.39 रुपये + 3.31 रुपये = 37.70 रुपये जबकि प्रति लीटर डीजल 37.08 रुपये + 2.55 रुपये = 39.63 रुपये का हो गया।

केंद्र और राज्यों के टैक्स से दाम दोगुने
अब केंद्र सरकार का एक्साइज टैक्स प्रति लीटर पेट्रोल पर 19.48 रुपये और प्रति लीटर डीजल पर 15.33 रुपये। यानी अब पेट्रोल की कीमत 37.70 रुपये + 19.48 रुपये = 57.18 रुपये जबकि डीजल की कीमत 39.63 रुपये + 15.33 रुपये = 54.96 रुपये हो गई।

डीलरों के कमीशन और राज्यों के वैट
अब इसमें पेट्रोल पंप डीलरों का कमिशन जुड़ता है। डीलर प्रति लीटर पेट्रोल पर 3.59 रुपये जबकि प्रति लीटर डीजल पर 2.53 रुपये कमीशन लेते हैं। इस तरह, अब पेट्रोल की दर 57.18 रुपये + 3.59 रुपये = 60.77 रुपये और डीजल का भाव 54.96 रुपये + 2.53 रुपये = 57.49 रुपये हो गया। इस पर राज्य सरकारें अलग-अलग दर से वैट और पलूशन सेस वसूलती हैं। अब नीचे देखें कि कौन से राज्य पेट्रोल और डीजल पर कितना सेल्स टैक्स/वैट वसूलते हैं-

ध्यान रहे कि रविवार को राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पेट्रोल-डीजल से राज्य सरकार द्वारा वसूले जानेवाले वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) को
4 प्रतिशतकम करने का ऐलान किया है।

16 जून, 2017 से बदली व्यवस्था
दरअसल, इस 16 जून, 2017 से पूरे देश में पेट्रोल-डीजल के दाम में हर दिन बदलाव की व्यवस्था (डेली डाइनैमिक प्राइसिंग) लागू कर दी गई है। इस व्यवस्था को यह कहते हुए लागू किया गया था कि इससे कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप बाजार में पेट्रोल-डीजल उपलब्ध हो सकेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और कच्चे तेल का दाम घटने के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ती गईं। गौरतलब है कि 16 जून, 2017 से पहले देश की तेल कंपनियां हर 15 दिन में पेट्रोल-डीजल के भाव की समीक्षा करती थीं।