नए टैक्स सिस्टम में यह 10 बड़ी छूट आप नहीं ले पाएंगे, जानिए

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नई दिल्ली। बजट 2020 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्सपेयर्स को टैक्स सिस्टम के दो विकल्प दिए हैं। टैक्सपेयर पुरानी या नई व्यवस्था, दोनों में से एक चुन सकते हैं। पुरानी व्यवस्था में डिडक्शन्स मिलेंगे लेकिन नए सिस्टम में डिडक्शन्स खत्म कर दिए गए हैं। सरकार का कहना है कि नई व्यवस्था काफी आसान है। आइए जानते हैं कि आपको कौन-से डिडक्शन्स ने सिस्टम के चुनाव पर आपको नहीं मिलेंगे।

स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन
सैलरी से हुई कुल कमाई में एक एकमुश्त रकम घटा दी जाती है, जिसे स्टैंडर्ड डिडक्शन कहा जाता है। इस रकम को घटाए जाने के बाद टैक्सेबल इनकम का कैलकुलेशन किया जाता है। फिलहाल सैलरीड को 50,000 रुपये तक स्‍टैंडर्ड डिडक्‍शन मिलता है। यानी नया टैक्स सिस्टम चुना तो आप यह डिडक्शन नहीं ले सकते।

LTA
लीव ट्रैवल अलाउंस (एलटीए) कर्मचारी के सीटीसी (कॉस्ट-टू-कंपनी) का हिस्सा होता है। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(5) के तहत कर्मचारी ट्रैवलिंग पर होने पर वाले खर्च के लिए छूट का दावा कर सकते हैं। देश में कहीं भी यात्रा करने पर यह छूट मिलती है। एलटीए छूट 4-4 साल के ब्लॉक में 2 यात्राओं के लिए मिलती है। नई टैक्स प्रणाली में आप इसका फायदा नहीं ले पाएंगे।

HRA
चआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस किसी कर्मचारी को दिया जाने वाला अलाउंस है, जो मकान का किराया देने के लिए कंपनी देती है। एम्प्लॉयी के हाथ में आते ही यह टैक्सेबल हो जाता है। इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 10(13ए) के तहत कुछ सीमाओं के साथ एचआर पर टैक्स छूट ली जा सकती है। एचआरए के रूप में हुई आमदनी पर टैक्स छूट का फायदा वही उठा सकता है जिसकी सैलरी में एचआरए हो और वह किराये के मकान में रहता हो। नई टैक्स प्रणाली में आप इस छूट के लिए भी दावा नहीं कर पाएंगे।

एंटरटेनमेंट अलाउंस
एंटरटेनमेंट अलाउंस कुछ खास कर्मचारियों को मिलता है। प्राइवेट कर्मचारियों के लिए इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्‍शन 16 के तहत यह अलाउंस डिडक्‍शन कि लिस्ट में आता है। गैर-सरकारी कर्मचारी के मामले में यह अलाउंस टैक्सेबल है।

होम लोन पेमेंट पर छूट
होम लोन के ब्याज की पेमेंट पर टैक्‍स छूट मिलती है। ब्याज के लिए इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 24बी के तहत 2 लाख रुपये तक का डिडक्शन मिलता है। किराये की प्रॉपर्टी पर ब्याज कटौती के लिए क्लेम करने की कोई ऊपरी सीमा नहीं है।

सेक्‍शन 80सी के तहत मिलने वाली छूट
सेक्‍शन 80सी के तहत इन्वेस्टमेंट के कई ऐसे विकल्‍प हैं जिन पर टैक्‍स में फायदा मिलता है। इनमें ईपीएफ, वीपीएफ, पीपीएफ, ईएलएसएस, म्यूचुअल फंड, सुकन्या समृद्धि योजना, टैक्स सेविंग एफडी, पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट, एनपीएस, एनएससी, एससीएसएस , नाबार्ड बॉन्ड और कुछ अन्य शामिल हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम
आयकर कानून के सेक्शन 80डी के तहत जीवनसाथी, बच्चों और अपने लिए प्रिवेंटिव हेल्थकेयर चेक-अप के खर्च सहित हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। क्लेम की यह रकम 25,000 रुपये तक हो सकती है। इसके अलावा अगर आप माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते हैं तो 50,000 रुपये तक अतिरिक्त डिडक्शन ले सकते हैं। शर्त यह है कि माता-पिता सीनियर सिटिजन हों। इस तरह आप 75,000 रुपये तक टैक्स बचत कर लेते हैं। लेकिन नए टैक्स सिस्टम में आप यह छूट भी नहीं ले सकते।

डिपेंडेंट का मेडिकल खर्च
देश में रहने वाला कोई भी व्यक्ति सेक्शन 80डीडीबी के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकता है। अपने या परिवार के डिपेंडेंट सदस्य के मेडिकल खर्च पर यह डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। कानून के तहत डिपेंडेंट के दायरे में जीवनसाथी, बच्चे, माता-पिता, भाई और बहन आते हैं। लेकिन नई व्यवस्था में इस डिडक्शन को भी नहीं क्लेम किया जा सकता।

एजुकेशन लोन के ब्‍याज पर टैक्‍स छूट
एजुकेशन के लिए लिया गया लोन भी टैक्स बचाने में मददगार है। अपने, पत्नी या बच्चों के लिए लिए गए एजुकेशन लोन पर टैक्स छूट हासिल मिलती है। कानूनी रूप से आप उसके अभिभावक हैं जिसके लिए एजुकेशन लोन ले रहे हैं तो इसके ब्याज पेमेंट पर आपको छूट मिलती है। नए टैक्स सिस्टम में आप यह डिडक्शन नहीं ले पाएंगे।

डोनेशन
इनकम टैक्स कानून की धारा 80जी के तहत किसी चैरिटेबल संस्था को डोनेशन पर डिडक्शन का फायदा मिलता है। कुछ फंडों और संस्थानों में दान देने पर टैक्स छूट मिलती है। दान की रकम कुल टैक्स योग्य आय से कट जाती है। इस कटौती का फायदा कोई भी टैक्सपेयर ले सकता है।

नया टैक्‍स सिस्टम चुनने वाले इनकम टैक्स ऐक्ट के चैप्‍टर VIए (80सी, 80सीसीसी, 80सीसीडी, 80डी, 80डीडी, 80डीडीबी, 80ई, 80ईई, 80ईईए, 80ईईबी, 80जी, 80जीजी, 80जीजीए, 80जीजीसी, 80आईए, 80-आईएबी, 80-आईएसी, 80-आईबी, 80-आईबीए इत्‍याद‍ि) के तहत उपलब्‍ध किसी भी डिडक्‍शन को क्‍लेम नहीं कर सकेंगे।