डिफॉल्टर पर लगाई गई रोक तुरंत हटाई जाए: बैंक्स एसोसिएशन की SC से अपील

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नई दिल्ली। लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। इस सुनवाई में इंडियन बैंक्स एसोसिएशन ने कहा कि कोर्ट को तुरंत डिफॉल्टर पर लगी रोक हटाना चाहिए। कारण कि बैंक किसी भी लोन को डिफॉल्ट करने में अब असहाय हो गए हैं। आईबीए की ओर से यह मांग वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट में की। इसी के साथ अब इस पर अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।

एनपीए में डालने पर लगी है रोक
बता दें कि कोरोना की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में कहा था कि जब तक कोर्ट का आदेश न हो, किसी भी लोन को डिफॉल्ट या बुरे फंसे कर्ज (एनपीए) में न डाला जाए। हालांकि बैंकों के पास ऐसे तमाम लोन हैं जो डिफॉल्ट तो हो गए हैं, पर बैंक उसे डिफॉल्ट नहीं घोषित कर पा रहे हैं। कोर्ट के आदेश की वजह से बैंक ऐसा कर रहे हैं।

सेक्टर के हिसाब से फायदा है
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि यदि आप सेक्टर के हिसाब से जाते हैं तो यह लाभकारी होगा। यहां एक machanism है जिससे याचिकाकर्ताओं को इसके अनुसार कार्य करने दिया जाता है। यह भविष्य में अचानक आई किसी योजना को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। अब प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर है कि वे अपने प्लान की रिस्ट्रक्चरिंग करें।

पिछले हफ्ते हुई थी सुनवाई
इससे पहले पिछले हफ्ते गुरुवार को कोर्ट ने कहा था कि क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वालों को कंपाउंड इंटरेस्ट में रियायत का कोई फायदा नहीं मिलना चाहिए। क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने वाले लोगों ने कोई लोन नहीं लिया है, बल्कि वे इससे खरीदारी कर रहे हैं। केंद्र ने कोरोना के दौरान लोन मोरेटोरियम पर कंपाउंड इंटरेस्ट की भरपाई करने का वादा किया है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि उन्हें क्रेडिट कार्ड पर एक्स ग्रेशिया मिला है। इस पर कोर्ट ने क्रेडिट कार्ड पर यह टिप्पणी की।

बैंक खुद कर्जदारों से संपर्क कर रहे हैं
सुनवाई के दौरान मेहता ने कोर्ट को बताया था कि कंपाउंड इंटरेस्ट को वापस करना बैंकों की जिम्मेदारी है। कर्जदारों को इसके लिए बैंक के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है। मेहता ने कहा, हमने यह फैसला लिया है कि जिन लोगों ने मोरेटोरियम के दौरान EMI भरी है, उन्हें सजा नहीं मिलनी चाहिए। मोरेटोरियम का फायदा लेने वाले या नहीं लेने वाले दोनों को इसका फायदा होगा। इससे पहले 2 अक्टूबर को केंद्र सरकार की तरफ से यह जानकारी दी गई थी कि सरकार 2 करोड़ रुपए तक के लोन की EMI पर वसूला जाने वाला कंपाउंड इंटरेस्ट चुकाएगी।

ब्याज माफी से बैंकों की बैलेंस शीट पर बुरा असर
आज भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। इसमें कहा गया है कि अगर बैंक ब्याज माफी करते हैं तो इससे उनकी बैलेंस शीट पर बुरा असर होगा जिससे बैंक के डिपॉजिटर्स भी प्रभावित होंगे। RBI ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 सितंबर को EMI ना चुकाने वालों को डिफॉल्टर की लिस्ट में ना डालने का जो फैसला किया था, उसे तुरंत खत्म किया जाए।

ब्याज पर ब्याज लेने का मतलब नहीं है
कोरोना के चलते लोन मोरेटोरियम का फायदा लेने पर कंपाउंड इंटरेस्ट वसूलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। कोर्ट ने कहा था कि इंटरेस्ट पर इंटरेस्ट लेने का कोई मतलब नहीं है। इसके बाद 5 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को हलफनामा दायर करने के लिए और वक्त दिया था। 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इस मामले में एक पुख्ता प्लान लेकर आने को कहा था।