जीएसटी राजस्व बढ़ाने के लिए रणनीति बना रहा वित्त मंत्रालय

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नई दिल्ली। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत राज्यों को राजस्व नुकसान के बदले दिए जाने वाले मुआवजे में चार गुना बढ़ोत्तरी होने से चिंतित वित्त मंत्रालय जीएसटी संग्रहण बढ़ाने को लेकर रणनीति बना रहा है। इसके लिए वह राज्यों के साथ मिलकर उन मुद्दों की पहचान कर रहा है जो उनके जीएसटी संग्रहण में रुकावट हैं। वित्त सचिव हसमुख अधिया ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों के जीएसटी अधिकारियों के साथ बैठक शुरू की है।

बता दें कि दो महीने में एक बार केंद्र द्वारा राज्यों को दिए जाने वाले जीएसटी मुआवजे में तेजी से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। जून और जुलाई में केंद्र ने राज्यों को मुआवजे के तौर पर 14,930 करोड़ रुपये दिए जो अप्रैल-जून में इस दौरान दिए गए 3,899 करोड़ रुपये के मुकाबले लगभग चार गुना अधिक है।

एक अधिकारी ने इस बारे में कहा, ‘जीएसटी राजस्व बढ़ाने के लिए एक रणनीति बनाई जा रही है। हर राज्य को मुआवजे के तौर पर दी जाने वाली राशि हर महीने अलग होती है। इसकी कोई स्थापित व्यवस्था नहीं है।’

अधिकारी ने बताया कि जीएसटी संग्रहण बढ़ाए जाने की रणनीति पर पंजाब, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर के साथ पहले ही बातचीत हो चुकी है। इस महीने के अंत तक बिहार और उत्तराखंड के साथ इस बारे में बातचीत की जाएगी।

बता दें कि वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये जीएसटी संग्रहण का लक्ष्य रखा है। अप्रैल को यह आंकड़ा एक लाख तक पहुंच गया था पर बाकी महीनों में यह 94,000 करोड़ रुपये से लगभग 96,500 करोड़ रुपये के दायरे में रहा है। जीएसटी कानून के तहत केंद्र पांच साल तक राज्यों को राजस्व हानि की भरपाई करने को प्रतिबद्ध है।

इसके लिए वर्ष 2014-15 के उनके राजस्व को आधार बना कर सालाना 14 प्रतिशत से कम की राजस्व वृद्धि को हानि मानकर उसकी भरपाई किए जाने की व्यवस्था है। वर्ष 2017-18 में राज्यों को इस मद में कुल 41,147 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था। इस क्षतिपूर्ति के लिए विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर उपकर का प्रावधान किया गया है।