क्या गहलोत नहीं चाहते राहुल गांधी राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हों

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जयपुर। Gehlot is afraid of Rahul: राजस्थान विधानसभा चुनाव के संग्राम के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अशोक गहलोत के मनमुटाव को लेकर खूब सियासी चर्चा हो रही है। दूसरी तरफ राहुल गांधी प्रदेश में सक्रियता भी नजर नहीं आ रही है। कहा जा रहा कि मुख्यमंत्री गहलोत खुद नहीं चाहते हैं, राहुल गांधी राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हों। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सचिन पायलट को बताया जा रहा है।

क्योंकि, राहुल गांधी सचिन पायलट को पसंद करते हैं। उन्हें समर्थन भी दे रहे थे। गहलोत को डर है कि राहुल गांधी राजस्थान कांग्रेस की राजनीति में जितना सक्रिय होंगे, उतना ही पायलट का प्रभाव बढ़ेगा और गहलोत ये बिल्कुल नहीं चाहते। इसके पीछे क्या कारण हैं ये सभी जानते हैं।

2018 के विधानसभा चुनाव से पहले दोनों के बीच शुरू हुआ विवाद बढ़ता गया था। इस विवाद के कारण गहलोत सरकार पर खतरा भी आ गया था। इसके बाद से दोनों नेताओं के बीच की खाई और बढ़ गई थी। हलांकि, फिलहाल दोनों नेता शांत हैं। बीते कुछ दिन पहले गहलोत ने पायलट को हाईकमान भी बताया था।

ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा नहीं देने के कारण कांग्रेस केंद्र सरकार को घेरने के लिए एक यात्रा शुरू कर रही है। 16 अक्तूबर से शुरू होने वाली इस यात्रा का शुभारंभ करने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे राजस्थान दौरे पर आएंगे। वहीं, पांच दिन बाद यात्रा के समापन पर प्रियंका गांधी वाड्रा के आने का क्रार्यक्रम हैं। राहुल गांधी इसमें शामिल होने नहीं आ रहे हैं। ऐसा होना एक बार फिर राजस्थान से राहुल गांधी की दूरी को दिखा रहा है।

2018 में सचिन पायलट की बगावत के बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था। इसके बाद से पायलट के पास कोई पद नहीं था। सरकार के बड़े कार्यक्रमों में भी उन्हें नहीं बुलाया जाता था। वहीं, दूसरी तरफ गहलोत लगातार उन पर हमला बोल रहे थे।

विधानसभा चुनाव से पहले अगस्त 2023 में सचिन पायलट को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया। तीन साल बाद पायलट को संगठन में कोई पद दिया गया था। डिप्टी सीएम के पद से हाटए जाने के बाद से वह सिर्फ विधायक की भूमिका में थे। इसे लेकर कहा गया कि गहलोत को नहीं,कांग्रेस को सचिन पायलट की जरूरत है या फिर साथ चाहिए।

राहुल गांधी के जरिए अगर सचिन पायलट का राजस्थान में प्रभाव बढ़ता है तो वे फिर मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में खुलकर सामने आ सकते हैं। टिकट वितरण में भी उनकी बढ़ी भूमिका होगी। ये दोनों ही चीजें हैं जो गहलोत बिल्कुल नहीं चाहते। हालांकि, कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य होने के कारण प्रत्याशियों के चुनाव समेत अन्य राणनीति में पायलट की भूमिका पहले से ही अहम मानी जा रही है।

राजस्थान में चुनाव की तारीख का एलान हो गया है। इससे पहले से कांग्रेस चुनाव प्रचार में जुटी हुई है। आचार संहिता लगने से पहले पार्टी ने कई बड़े कार्यक्रम किए, लेकिन पायलट और गहलोत के साथ नजर नहीं आए। चुनावी संग्राम में भी दोनों नेताओं के बीच की दूरी बता रही है कि सब कुछ ठीक तो नहीं है।