कोटा विकास प्राधिकरण के गठन के औचित्य पर उठ रहे कई सवाल

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केडीए का गठन भू माफियाओं की साजिश का हिस्सा : भरत सिंह

-कृष्ण बलदेव हाडा –
Kota Development Authority: कोटा शहर के विकास की धारा से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों को भी जोड़ने की कोशिशों के तहत गठित किए जाने वाले कोटा विकास प्राधिकरण (KDA) के मसले को लेकर विवाद बढ़ गया है।

सरकार की ओर से भले ही यह दावा किया जा रहा है कि कोटा विकास प्राधिकरण (केडीए ) के गठन से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। वहीं दूसरी ओर इसके विरोध में उतरे किसानों और पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि यह विकास के लिए नहीं बल्कि विनाश का कारण बनने वाला है।

इससे न केवल जल-जमीन-जंगल बर्बाद होंगे, बल्कि किसानों के सामने आने वाले समय में गंभीर आजीविका का संकट का खड़ा होने वाला है। कोटा जिले में सांगोद से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर का तो यह भी स्पष्ट आरोप है कि इसका ड्राफ्ट सरकार ने नहीं बल्कि भू माफियाओं ने तैयार किया है। आने वाले समय में यह कोटा के आसपास के कृषि क्षेत्र के विनाश का सबसे बड़ा कारण बनने वाला है।

कोटा शहर के आसपास के बूंदी जिले के तालेड़ा क्षेत्र सहित कोटा जिले में लाडपुरा, दीगोद (सांगोद विधानसभा) क्षेत्र के कुछ गांवों को शामिल कर कोटा विकास प्राधिकरण का गठन किया जाना प्रस्तावित है।

इसके लिए राजस्थान सरकार ने बिना किसी चर्चा के सोमवार को विधेयक को पारित कर कोटा विकास प्राधिकरण के गठन का मार्ग प्रशस्त भी कर दिया। आनन-फानन में जिस तरीके से प्राधिकरण का गठन किया जा रहा है, उसको लेकर वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर में कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने यह स्पष्ट आरोप लगाया है कि प्राधिकरण का गठन भू माफियाओं की साजिश का हिस्सा है और उनके दबाव के चलते ही इसे बनाया गया है। इसके गठन से किसानों को काफी नुकसान होगा।

श्री भरत सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री हमेशा पूरे दावे के साथ यह कहते हैं कि अगले विधानसभा के चुनाव के बाद फिर कांग्रेस की सरकार बनेगी और सरकार बनने पर उसमें शांति धारीवाल ही नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री होंगे।

जब अगली सरकार कांग्रेस की बनने ही वाली है तो मौजूदा सरकार को यह प्राधिकरण गठन का यह विधेयक पारित करने की इतनी जल्दी क्या थी और वह भी बिना बहस किए हुए। जबकि इसे बाद में भी बहस के जरिए अन्य सदस्यों का पक्ष विस्तार से जान कर इस मसले पर कोई फैसला किया जा सकता था लेकिन, सरकार ने बिना किसी बहस के सोमवार को हंगामे के बीच कोटा विकास प्राधिकरण के गठन का विधेयक पारित कर दिया।

उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर इस बात पर भी कड़ी आपत्ति जताई है कि उनसे पूछे बिना उनके विधानसभा क्षेत्र सांगोद के 10 गांवों को इस प्राधिकरण में शामिल कर लिया है, जो ठीक नहीं है। श्री भरत सिंह राज्य सरकार से कुछ मसलों पर मतभेद के चलते पिछले काफी समय से राजस्थान विधानसभा की कार्रवाई का बहिष्कार करते आ रहे हैं।

श्री सिंह प्राधिकरण के गठन के मसले पर बहस में भाग लेकर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए सोमवार को विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन वहां बर्खास्त मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा के हंगामे के कारण विधानसभा के स्थगित किए जाने से वे अपनी बात को विधानसभा के पटल पर नहीं रख पाए। उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलकर जरूर इस पर अपना विरोध जताया है।

उल्लेखनीय है कि श्री सिंह ने यह घोषणा की हुई है कि वे मुख्यमंत्री के रूप में जब भी अशोक गहलोत कोटा आएंगे तो वे उनके समक्ष खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले की सीमा में शामिल करने के मसले सहित अन्य मसलों को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन करते हुए ज्ञापन देंगे।

उधर किसानों और पर्यावरणविदों ने भी प्राधिकरण के गठन के प्रति विरोध जताने के लिए एक अगस्त को एक वृहद्ध बैठक बुलाई है, जिसमें इस प्राधिकरण के गठन के बाद किसानों और पर्यावरण को होने वाली क्षति पर विस्तार से विचार किया जाएगा।