एफसीआई में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश, रिश्वत लेकर घटिया अनाज गोदाम में रखा जाता था

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भ्रष्ट अधिकारियों का गिरोह प्रति ट्रक 4000 रुपये वसूलता था

नई दिल्ली। एफसीआई में भ्रष्ट अधिकारियों का संगठित गिरोह सक्रिय था, जो प्रति ट्रक 4000 रुपये की वसूली करता था और नीचे से ऊपर तक उसका बंटवारा होता था। सीबीआइ अपने एफआईआर में गोदाम स्तर से लेकर खरीदे गए अनाज के रेल से दूसरे राज्यों में रवाना करने तक रिश्वत वसूलने और उनके बंटवारे का विस्तृत ब्यौरा दिया है।

एफसीआई में फैले भ्रष्टाचार का पता लगाने के लिए छह महीने तक चले आपरेशन कनक के बाद दर्ज एफआईआर में सीबीआई में 34 मौजूदा अधिकारियों और तीन सेवानिवृत अधिकारियों को आरोपी बनाया है।

सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, एफसीआई के गोदाम पर पहुंचने वाले हर ट्रक के लिए मिल मालिकों और विक्रेताओं से वहां तैनात तकनीकी सहायक 4000 रुपये वसूलता था। इसके बदले में घटिया अनाज को मानक के अनुरूप दिखाकर गोदाम में रख दिया जाता था।

वसूले गए 4000 रुपये में से 100 रुपये मुनीम को मिलते थे। गुणवत्ता की जांच के लिए तैनात क्वालिटी कंट्रोल मैनेजर को 1000 रुपये मिलते थे। ऊपर के अधिकारियों को , जिसे सेंट्रल पुल कहा जाता था, 1050 रुपये पहुंचाये जाते थे, 1600-1700 रुपये खुद तकनीकी सहायक रखता था और 200 रुपये स्थानीय खर्च के लिए रखे जाते थे।

सीबीआई के अनुसार, सेंट्रल पूल के तहत दिये जाने वाले 1050 रुपये में भी अलग-अलग अधिकारियों का हिस्सा निर्धारित था। इसमें से जनरल मैनेजर 200 रुपये, चार डिप्टी जनरल मैनेजर में सभी को 50-50 रुपये, लैब में तैनात रिसर्च आफिसर को 20 रुपये, 100 रुपये एक्सक्यूटिव डायरेक्टर या हेडक्वार्टर खर्च के लिए रखा जाता था। इस वसूली गिरोह का सरगना चंडीगढ़ आफिस में तैनात एजीएम सुकांता कुमार जेना खुद 450 रुपये रखता था और शेष अन्य खर्चे के लिए रख दिया जाता था।

सीबीआई के अनुसार, सुकांता कुमार जेना ने तकनीकी सहायक निशांत बैरिया के मार्फत अन्य सभी तकनीकी सहायकों से रिश्वत की वसूली सुनिश्चित करता था। दिल्ली स्थित एफसीआइ मुख्यालय में तैनात सुदीप सिंह, जिसको सीबीआइ ने आरोपी बनाया है, निचले स्तर पर भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों, मिल मालिकों और विक्रेताओं को बचाने का काम करता था।

सीबीआई की एफआईआर में बताया गया है कि किस तरह से संदीप कुमार ने कुरली स्थित गोदाम में पकड़े गए कम गुणवत्ता का अनाज सप्लाई करने वाले मिल मालिकों और विक्रेताओं से पिछले साल जुलाई में 10 लाख रुपये की नकद रिश्वत ली थी।

यही नहीं, इसके एक महीने बाद मेहर सिंह नाम के मिल मालिक ने पांच लाख रुपये संदीप सिंह की पत्नी के पंजाब नेशनल बैंक स्थित खाते में ट्रांसफर किये थे। 19 सितंबर को संदीप सिंह को 49,800 रुपये की एपल की घड़ी भी दी गई। बदले में संदीप सिंह ने उन्हें एफसीआई से प्रतिबंधित होने से बचा लिया।

सीबीआई के अनुसार गोदाम के मैनेजर खराब गुणवत्ता वाले अनाजों को जल्द से जल्द दूसरे राज्यों में भेजने की कोशिश करते थे, ताकि औचक निरीक्षण के दौरान पकड़े जाने से बच सकें। सीबीआई की एफआईआर में ऐसे ही एक वाकया बताया गया है, जिसमें पंजाब वेयरहाउस कारपोरेशन के एक मैनेजर ने 50 हजार रुपये की रिश्वत दी थी।