इंश्योरेंस क्लेम मिलने में देरी पर पॉलिसी होल्डर ब्याज का हकदार

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मुंबई। मेडिक्लेम पॉलिसी होल्डर्स के हक में फैसला देते हुए महाराष्ट्र उपभोक्ता आयोग ने कहा है कि अगर रीइंबर्समेंट अमाउंट मिलने में देरी होती है, तो पॉलिसी होल्डर्स ब्याज का दावा कर सकता है। ओवरी की सर्जरी पर खर्च हुए 1.7 लाख रुपये का रीइंबर्समेंट तीन साल बाद पाने वाली एक महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आयोग ने कहा कि वह रीइंबर्समेंट राशि पर नौ फीसदी की दर से ब्याज की हकदार हैं।

न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने शुरुआत में महिला का दावा खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने एक इंश्योरेंस ओम्बुड्समैन का दरवाजा खटखटाया, जिसने महिला के पक्ष में फैसला दिया और अंततः 2013 में उन्हें बीमे की रकम मिली।

एक डिस्ट्रिक्ट फोरम के आदेश को खारिज करते हुए महाराष्ट्र स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमिशन ने कहा कि उसने सभी तथ्यों पर सही तरीके से गौर नहीं किया और गलत तरीके से इस निष्कर्ष पर पहुंच गया कि महिला ने अपना क्लेम सहर्ष स्वीकार कर लिया और वह राशि पर ब्याज के साथ-साथ मुआवजा और शिकायत पर आने वाली लागत पाने की हकदार नहीं है।

आयोग ने न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 30 हजार रुपये मुआवजा और शिकायत करने पर आई लागत का भी भुगतान करने को कहा। डिस्ट्रिक्ट फोरम द्वारा दिसंबर 2016 में शिकायत खारिज होने के बाद महिला ने स्टेट कमिशन का दरवाजा खटखटाया था।

महिला ने कहा कि वह 26 अप्रैल से 30 अप्रैल, 2011 के बीच अस्पताल में भर्ती हुई थी, जिस दौरान उनकी ओवरी की सर्जरी हुई थी। उन्होंने कहा कि उनका दावा 15 अक्टूबर, 2013 को खारिज कर दिया गया, लेकिन बाद में एक इंश्योरेंस ओम्बुड्समैन ने इंश्योरेंस कंपनी को बीमे की रकम का भुगतान करने का आदेश दिया। दिसंबर 2013 में उन्हें कंपनी की तरफ से चेक मिला।

फरवरी 2014 में उन्होंने कंपनी को एक पत्र में कहा कि चूंकि उनका क्लेम तीन साल बाद मिला है, इसलिए वह राशि के साथ मुआवजा तथा शिकायत पर आने वाली लागत के साथ ब्याज की हकदार हैं, लेकिन इंश्योरेंस कंपनी ने इससे मना कर दिया, जिसके बाद उन्होंने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया।