आयात शुल्क में वृद्धि से हफ्तेभर में खाद्य तेल 30 फीसदी तक महंगे

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सभी तरह के खाद्य तेलों में 50% पाम ऑयल की मिलावट

मुंबई। देश में प्‍याज के बाद अब खाद्य तेलों की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी से उपभक्ताओं पर दोहरी मार पड़ी है। इस बीच केंद्र सरकार की ओर से कीमतें कम करने के कोई संकेत नहीं मिले हैं। जानकारी के अनुसार, देश में इस्तेमाल होने वाले सभी तरह के खाद्य तेलों में पाम ऑयल का सबसे ज्यादा (करीब 50%) उपयोग होता है। भारत में इसका उत्पादन करीब 2 प्रतिशत ही है।

देश का 98 प्रतिशत तेल मलयेशिया और इंडोनेशिया आता है। वहीं, सरसों के तेल की खपत 20 प्रतिशत है, जिसका 100 प्रतिशत उत्पादन भारत में ही होता है। 15 प्रतिशत रिफाइंड सनफ्लॉवर तेल उपयोग होता है, जिसका देश में उत्पादन 20 प्रतिशत है और 80 प्रतिशत यूक्रेन और रूस से आता है। 10 प्रतिशत इस्तेमाल सोयाबीन का होता है। इसमें 65 प्रतिशत सोयाबीन तेल ब्राजील और अर्जेंटीना से आयात होता है।

फुटकर दाम 30 रुपये तक बढ़े
खाद्य तेलों की कीमतें महज एक सप्ताह के भीतर ही इतनी ज्यादा बढ़ी हैं। पाम ऑयल की फुटकर कीमत 30 रुपये बढ़ी है, जबकि सरसों के तेल में भी इतनी ही बढ़ोतरी हुई है। रिफाइंड सनफ्लॉवर तेल की कीमतें 40 रुपये प्रति लीटर बढ़ी हैं। व्यापारी अब ग्राहकों को जवाब देते-देते परेशान हो गए हैं। अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि कच्चे खाद्य तेल पर आयात शुल्क 15 से 20 प्रतिशत कम कर सरकार राहत दे सकती है।

कीमतें बढ़ने का कारण
तेल के कारोबार से जुड़े व्यापारी कीमतें बढ़ने के कई कारण गिनाते हैं। शंकर ठक्कर का कहना है कि पाम ऑयल मलयेशिया और इंडोनेशिया से आता है। दरअसल, इन देशों ने बॉयोडीजल में पाम ऑयल का उपयोग 1 जनवरी से बढ़ा दिया है। पहले उत्पादन का 10 प्रतिशत ही पाम ऑयल बॉयोडीजल में इस्तेमाल होता था, जो अब 30 प्रतिशत हो चुका है। इसके अलावा दोनों देशों ने 5 फीसद निर्यात शुल्क भी बढ़ाया है। इससे तेल महंगा हो गया है। वहीं, खराब मौसम वजह से इस साल रूस और यूक्रेन में सनफ्लॉवर की खेती को नुकसान हुआ है।

तेलों की बढ़ी हुई कीमतें

  • सरसों को तेल पहले 100 अब 130
  • सनफ्लावर पहले 90 अब 120
  • पाम ऑयल पहले 70 अब 100
  • (सभी दाम रुपये प्रति लीटर और फुटकर मंडी के हैं।)