अगली स्ट्राइक में विपक्षी नेताओं को जहाज से बांधकर ले जाएं: वीके सिंह

0
941

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने पाकिस्तान में घुसकर वायुसेना की एयर स्ट्राइक को लेकर सबूत उठाने वालों पर तीखी टिप्पणी की है। विदेश राज्य मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘अगली बार भारत कुछ करे तो मुझे लगता है कि विपक्षी जो ये प्रश्न उठाते हैं, उनको हवाई जहाज के नीचे बांध के ले जाएं।

जब बम चलें तो वहां से टारगेट देख लें। उसके बाद उनको वहीं पर उतार दें। वे गिन लें और वापास आ जाएं।’ इससे पहले उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट कर विपक्ष, मीडिया और छात्र नेताओं पर हमला बोला था।

वीके सिंह ने कहा कि देश के लोग चाहते हैं कि आतंकवाद से मुकाबले के लिए भारत इजरायल का अनुसरण करे, लेकिन ऐसा विपक्ष के चलते नहीं हो सकता। यही नहीं उन्होंने कहा कि बाहर का तो पता नहीं देश के भीतर भी एक सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है।

वीके सिंह ने कहा कि इजरायल का विपक्ष अपनी सेना पर संदेह नहीं करता और उसे अपमानित करने का प्रयास नहीं करता। पूर्व सेनाध्यक्ष ने कहा कि उनकी सेना जब ‘ऑपरेशन म्यूनिख’ जैसे टास्क अंजाम देती है तो कोई संदेह नहीं करता।

फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट लिखकर वीके सिंह ने विपक्षी नेताओं, छात्र लीडर्स, ऐक्टिविस्ट्स और मीडिया पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत के भीतर भी एक सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है। यही नहीं वीके सिंह ने कहा कि हमें देश के भीतर भी एक सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है।

कहा, युद्ध की बात करने वाले महंगाई नहीं सह पाएंगे
उन्होंने कहा, ‘आज शायद बाहर का तो पता नहीं, पर अंदर तो एक जबरदस्त सर्जिकल स्ट्राइक की आवश्यकता है। यदि ये नहीं हो पाया तो लुटेरे तो लूटने के लिए तैयार बैठे हैं।’ उन्होंने लिखा, ‘आज जो पाकिस्तान को साफ करने की बात कर रहे हैं और सच में युद्ध हो जाए और प्याज-पेट्रोल-टमाटर महंगे हो गए तो सड़कों पर आ जाएंगे। दाल फ्राई खाने का शौकीन देश टमाटर महंगे होना नहीं सहन कर सकता।’

असहिष्णुता की बातें करने वालों पर बोला हमला
जेएनयू में कथित देशविरोधी नारेबाजी, मीडिया और अभिनेताओं को लेकर वीके सिंह ने कहा, इजरायल के नेता सेनाध्यक्ष को कुत्ता, गुंडा नहीं कहते। टैक्सपेयर्स के पैसों पर पढ़ने वाले शहेला राशिद या कन्हैया कुमार जैसे जोंक नहीं है, वहां जो आर्मी को रेपिस्ट बताते फिरे। वहां के अभिनेता अपनी धरती पर जहां वो पैदा हुए हैं, जहां वो सफल हुए हैं, उस पर शर्मिंदा नहीं होते। असहिष्णुता का नाटक नहीं करते।

इजरायल में आतंकियों के मानवाधिकार नहीं होते
पूर्व सेनाध्यक्ष ने लिखा, ‘वहां न तो आतंकवादियों के लिए रात दो बजे कोर्ट खुलते हैं और न ही वहां के पत्रकार आतंकियों के लिए मानवाधिकार का रोना रोते हैं। न ही वहां के पत्रकार आतंकी को टेररिस्ट कहने के बजाय मिलिटेंट या उग्रवादी कहते हैं।’