कोटा। केन्द्र सरकार ने सोने से निर्मित ज्वैलरी पर 16 जून से हॉलमार्क अनिवार्यता लागू कर दी है परन्तु इसके बाद से ही सरकारी तौर पर अधूरी तैयारी के बीच एचयूआईडी कोड लगाने में और रोजाना नये अव्यवहारिक आदेशों की वजह से देश भर के सर्राफा व्यापारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसे दूर करने के लिए श्री सर्राफा बोर्ड कोटा ने प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और उपभोक्ता मामलात मंत्री को पत्र लिखकर गुहार लगाई है।
सर्राफा बोर्ड के अध्यक्ष सुरेन्द्र गोयल विचित्र ने बताया कि ग्राहकों को शुद्धता की गारंटी देने वाली सरकार की हॉलमार्क नीति का हम स्वागत करते हैं परन्तु एचयूआईडी कोड लगवाने में आ रही दिक्कतें और एक माह में स्टॉक घोषणा जैसे आदेशों सहित अभी तक विभाग द्वारा नियमों की अपूर्ण जानकारी की वजह से सर्राफा कारोबारियों को बेवजह की परेशानी उठानी पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ साल से कोरोना काल में वैसे ही ज्वैलरी व्यवसाय प्रभावित हुआ है। छोटे से लेकर बड़े व्यापारी, कारीगर सभी वैवाहिक और त्यौहारी सीजन नहीं चलने से परेशान हैं। ऊपर से हॉलमार्किंग के नाम पर एक सीमित समय सीमा के लिए नये तुगलकी फरमानों ने सभी को मानसिक तनाव दे दिया है।
उन्होंने कहा कि हॉलमार्क लागू होने से हमारे व्यापार में विश्वसनीयता स्थापित होगी और छोटे व्यापारी भी अपना ब्रांड स्थापित करने के साथ ही कारोबार बढ़ा सकेंगे। परन्तु इस कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए सरकार को कानून में सरलीकरण करने के साथ ही प्रर्याप्त समय देना चाहिए।
एचयूआईडी जटिल प्रक्रिया
विचित्र ने बताया कि दो ग्राम से ऊपर वजन वाले प्रत्येक गहने पर 6 डिजीट में एचयूआईडी कोड लगाना अनिवार्य कर दिया है परन्तु यह एक जटिल प्रक्रिया है और देशभर में हॉलमार्क सेंटर कम होने से समय अधिक लग रहा है।
उन्होंने बताया कि एचयूआईडी कोड लगाने के लिए पहले सभी जेवरों की डिटेल बीआईएस के पोर्टल पर अपलोड करना होता है फिर वो हॉलमार्क सेंटर पर भेजी जाएगी। जहां उसके द्वारा स्वीकार करना या नहीं करना उस पर निर्भर है। तब तक व्यापार प्रभावित हो जाता है। इसलिए इस कानून को सरल करने की आवश्यकता है। अभी देशभर में सेंटर तो बहुत कम है और ज्वैलरी लाखों में। ऐसे हालात में सभी जेवरों पर यह कोड लगवाने में साल दो साल लग जाएंगे।
हॉलमार्क क्वालिटी कंट्रोल के लिए है ना कि बिजनेस कंट्रोल के लिए
सर्राफा बोर्ड के अध्यक्ष सुरेन्द्र गोयल विचित्र ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण मंत्रालय द्वारा बीआईएस के माध्यम से विभिन्न उत्पादों पर ग्राहकों के हितों के लिए क्वालिटी कंट्रोल किया जाता है। परंतु ज्वैलरी सैक्टर में नये कानून थोपकर बिजनेस कंट्रोल करने का प्रयास हो रहा है जो व्यापारियों की निजता को खतरा है।
उन्होंने कहा कि बीआईएस द्वारा ज्वैलरी की शुद्धता को लेकर तो इतना हो हल्ला मचाया जा रहा है जब कि अन्य घरेलू उत्पादों पर गुणवत्ता के लिए विभाग द्वारा इतने कठोर प्रवाधान नहीं है। इन नये अव्यवहारिक आदेशों से ऐसा लगने लगा है कि सर्राफा दुकानों की मालिक सरकार है और व्यापारी केवल मुनीम बनकर रह गया है।
20 कैरेट पर हॉलमार्क स्वीकृति की अधिसूचना जारी नहीं हुई
विचित्र ने बताया कि हाड़ौती सहित उत्तर भारत के अधिकांश शहरों में 20 कैरेट शुद्धता वाले जेवरों का प्रचलन है। उस पर हॉलमार्क लागू करने के लिए मंत्री पीयूष गोयल एवं बीआईएस प्रमुख द्वारा एक वर्चुअल मीटिंग में स्वीकार किया था और सरकारी प्रेस नोट में भी इसे केटेगरी में शामिल करने का जिक्र कर दिया था, परन्तु एक माह बीत जाने के बाद भी अभी तक इस हेतु अधिसूचना जारी नहीं की। जिससे इस क्षेत्र के व्यापारी असंमजस में हैं और चाहकर भी हॉलमार्क जेवर बेचने की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं।
विचित्र ने कहा कि सबसे पहले सरकार को अविलंब सभी केटेगरी की ज्वेलरी पर हॉलमार्क स्वीकृति प्रदान करने के आदेश जारी करने चाहिए। उसके बाद एक साल का समय देते हुए एचयूआईडी कोड अनिवार्य करे।