नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात संयुक्त राष्ट्र की अहम मीटिंग को वर्चुअली संबोधित किया। बंजर होती जमीन और सूखे के हालात पर हुई इस मीटिंग में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने हमेशा धरती को मां का दर्जा दिया है। कम होती उपजाऊ भूमि और सूखा मानवता के लिए चिंता का कारण हैं। यह पूरी दुनिया के लिए खतरे का संकेत हैं।
मोदी ने कहा- जमीन का कम होता उपजाऊपन विकासशील देशों और दुनिया के लिए बड़ा खतरा है। भारत इस मामले में अपने सहयोगी विकासशील देशों की मदद कर रहा है ताकि लैंड रेस्टोरेशन किया जा सके। इसके लिए हमने देश में सेंटर फॉर एक्सीलेंस भी तैयार किया है, ताकि इस मामले पर हम दुनिया की मदद कर सकें। हमने कई और कदम उठाए हैं। कच्छ के रण में इस कारण काफी दिक्कतें आती थीं। वहां बारिश भी बहुत कम होती है।
मोदी ने कहा कि हमने कच्छ के रण में भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए घास लगाने पर फोकस किया और इससे जमीन को बंजर और मरूस्थली बनने से रोका गया। यह प्राकृतिक तरीका काफी कारगर साबित हुआ।
PM की भाषण की खास बातें…
- हम 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर खराब भूमि को बहाल करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यह 2.5-3 बिलियन टन CO2 के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक को हासिल करने की भारत की प्रतिबद्धता में योगदान देगा।
- भारत में पिछले 10 साल में लगभग 30 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र जोड़ा गया है। इसने संयुक्त वन क्षेत्र को देश के कुल क्षेत्रफल के लगभग 1/4 भाग तक बढ़ा दिया है। हम भूमि क्षरण तटस्थता की अपनी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को हासिल करने की राह पर हैं।
- दुख की बात है कि भूमि क्षरण आज दुनिया के दो तिहाई हिस्से को प्रभावित करता है। अगर इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया तो यह हमारे समाजों, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता की नींव को ही नष्ट कर देगा।
- भारत में हमने हमेशा जमीन को महत्व दिया है और पवित्र पृथ्वी को अपनी मां के रूप में मानते हैं। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भूमि क्षरण के मुद्दों को उजागर करने का बीड़ा उठाया है।