कोटा। एक साल टालने के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने पूरे देश में 15 जून से सोने के जेवरों पर हाॅलमार्किंग अनिवार्य कर दी है। अब 14, 18 और 22 कैरेट की ज्वेलरी की हॉलमार्किंग हो सकेगी। 14 और 18 कैरेट का सोना जड़ाऊ गहनों में ही इस्तेमाल होता है। यानी इस नियम के लागू होने के बाद ज्वैलर्स केवल 22 कैरेट सोने की ज्वेलरी ही बेच सकेंगे। इस फैसले से पूरे उत्तर भारत में हड़कंप है, क्याेंकि यहां अधिकतर 20 कैरेट गाेल्ड की ही ज्वेलरी बनाई जा रही है।
हाड़ौती में 4 हजार से अधिक दुकानें हैं, जहां केवल 20 कैरेट की गाेल्ड ज्वेलरी बनाई जाती है। इन पर राेज 6 से 7 हजार जेवर बनते हैं। इन पर हाॅलमार्क लगाने के लिए सिर्फ काेटा में दाे सेंटर है। वहीं हाड़ाैती में 20 से 25 दुकानदाराें के पास ही हाॅलमार्क बेचने का लाइसेंस है। एक साल से यह मामला चल रहा है, न ताे व्यापारी चेते हैं और न ही सरकार।
हाड़ाैती में हर महीने 500 कराेड़ के काराेबार पर संकट आ गया है। ज्वेलर्स की मांग है कि 20 कैरेट गाेल्ड काे भी हॉलमार्किंग में शामिल किया जाए। सरकार ने 14 (58.3%), 18 (75%) और 22 (91.6%) कैरेट के गहनों पर ही हॉलमार्क की स्वीकृति दी है।
क्या है 20 और 22 कैरेट गाेल्ड ज्वेलरी
22 (91.6%) कैरेट: इसमें 91.6 शुद्ध साेना हाेता है और इसमें लगने वाला टांका भी केडीएम धातु के साथ 91.6 का ही लगता है। कुछ समय बाद यह धातु उड़ जाती है और साेना ही बचता है।
20 (83.3%) कैरेट: इसमें 83.3% साेना हाेता है। बाकी इसमें चांदी, तांबा सहित अन्य धातु मिलाकर टांका लगाया जाता है।
हॉलमार्क लगाने वाले सेंटर
सर्राफा बोर्ड के अध्यक्ष सुरेन्द्र गोयल विचित्र ने बताया कि केंद्र सरकार 15 जून से स्वर्णाभूषणों पर हॉलमार्क की अनिवार्यता वाला कानून लागू कर रही है, सरकारी स्तर पर इसकी कोई तैयारी नहीं की गई है। पिछले एक साल में जेवरों की जांच करके हॉलमार्क लगाने वाले सेंटर नहीं खोले गए और न ही दुकानदारों को लाइसेंस लेने के लिए प्रेरित किया है। ऐसे में यदि कानून लागू हो जाएगा तो कोटा में बनने वाली ज्वेलरी पर हॉलमार्क कैसे लगेगा?
पुराने स्टाॅक को हटाना भी मुश्किल
सर्राफ आनंद राठी ने बताया कि पुराना स्टॉक हटाना होगा। अभी ऐसा करना संभव नहीं है। कोरोना महामारी के चलते पिछले एक साल से धंधा चौपट है। दो महीने से लॉकडाउन लगा हुआ है। दुकानें बंद हैं, शादियों का सीजन भी निकल गया है।
6 घंटे लगते हैं एक बार जांच करने मे
हाॅलमार्क सेंटर के अर्जुन साेनी ने बताया कि एक मशीन पर एक बार में 1000 जेवराें की जांच कर हाॅलमार्क दिया जा सकता है। इस प्रक्रिया में लगभग 6 घंटे लगते हैं। हाड़ाैती के हिसाब से अभी सेंटर कम हैं। इसके लाइसेंस लेने में 2 महीने का समय लगता है। व्यापारियों को ही ये सेंटर खोलने होंगे।
बारां सर्राफा संघ के अध्यक्ष ललित माेहन खंडेलवाल ने बताया कि 20 कैरेट के जेवर मजबूत और किफायती रहते हैं। 22 कैरेट की ज्वेलरी 10 फीसदी महंगी पड़ेगी। बूंदी के सर्राफ नूरत अग्रवाल ने बताया कि 20 कैरेट की ज्वेलरी की लागत भी कम रहती है। झालावाड़ सर्राफा एसाेसिएशन के अध्यक्ष देवकीनंदन ने बताया कि पुराने जेवर ही पड़े हैं। सरकार काे 6 महीने का समय बढ़ाना चाहिए।