Hyundai भारतीय बाजार में 3,200 करोड़ रुपये का और निवेश करेगी

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नई दिल्ली। भारतीय बाजार में 1998 में ही प्रवेश करने वाली दक्षिण कोरियाई कार कंपनी ह्यूंदै मोटर इंडिया लिमिटेड (Hyundai Motor India Limited- HMIL) अभी भी विस्तार की राह पर है। कंपनी का कहना है कि अगले चार वर्षों के दौरान कंपनी अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो (Product Portfolio) में विस्तार के लिए 3200 करोड़ रुपये का और निवेश करेगी। इसमें कारों के नए मॉडल की लांचिंग तो है ही, इलेक्ट्रिक कारों (Electric vehicle) के एक सीरिज की भी लांचिंग शामिल है। अभी तक कंपनी भारतीय बाजार में चार अरब डॉलर ($4 Billoin) का निवेश कर चुकी है।

ह्यूंदै के भारतीय मैनेजमेंट का कहना है कि अब कंपनी का ध्यान इलेक्ट्रिक व्हीकल (E vehicle) पर है। भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है और इस पर कई तरह के राजकोषीय प्रोत्साहन भी है। इसलिए कंपनी ने भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक कारों के मॉडल को लांच कर दिया है। इसने अपने ई एसयूवी कोना को पहले ही लांच कर दिया है।

लेकिन इसकी कीमत 24 लाख रुपये के करीब होने के कारण इसे हर कोई खरीद नहीं पा रहे हैं। मैनेजमेंंट का कहना है कि जब तक यह अफोर्डेबल नहीं होगा, तब तक इसे आम आदमी नहीं अपना पाएंगे। यह प्रोडक्ट भी अफोर्डेबल हो सके, इसके लिए भारत में भी इलेक्ट्रिक कारों के लिए एक अलग प्रोडक्ट लाइन बनाया जाएगा। इसमें करीब 1000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना है।

कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि इस समय इलेक्ट्रिक कारों के लिए जो भी बैटरी पैक भारतीय कार प्लांट में आ रहे हैं वह चीन में ही बने हैं। कुछ बैटरी पैक भारत में भी बन रहे हैं, लेकिन उसके सेल भारत में नहीं बन रहे। वे या तो चीन में बनते हैं या फिर कोरिया में। यहां सिर्फ उसकी पैकिंग हो रही है। जब तक बैटरी सेल भारत में नहीं बनेंगे, तब तक इसकी कीमतों में उल्लेखनीय कमी नहीं होगीं और जब तक इसकी कीमत कम नहीं होगी, इसे आम लोग नहीं अपना पाएंगे।

भारत में 25 वर्ष हो चुके हैं पूरे
ह्यूंदै (Hyundai) ने भारतीय बाजार में अपना सफर 6 मई 1996 को शुरू किया था। इसने भारत में ही प्रोडक्शन कर सितंबर 1998 में अपनी पहली लोकल मॉडल सेंट्रो (Santro) को बाजार में उतार दिया था। इसके बाद इसकी ऐसी रणनीति रही यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी कार निर्माता बन गई। इस समय इसका घरेलू कार बाजार में 17 फीसदी की हिस्सेदारी है। यही नहीं, यह भारत से पैसेंजर कारों का एक्सपोर्ट करने वाली सबसे बड़ी कंपनी के रूप में खुद को स्थापित किया।