राजस्थान की मंडियों में हो सुधार, सभी तहसीलों में खुले मंडियां: भाकिसं

0
513

कोटा। भारतीय किसान संघ के प्रदेशव्यापी आव्हान के तहत सोमवार को संभाग भर में तहसील मुख्यालयों पर ज्ञापन दिए गए। संभागीय मीडिया प्रभारी आशीष मेहता ने बताया कि कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ में कार्यकर्ताआंे ने तहसीलदार और एसडीएम को ज्ञापन सौंपे।

कोटा जिले में दीगोद, सुल्तानपुर, सांगोद, कनवास, रामगंजमंडी, बपावर, इटावा, पीपल्दा में, झालावाड़ में अकलेरा, खानपुर, गंगधार, झालरापाटन, मनोहरथाना, पचहाड़ में, बूंदी में केशवरायपाटन, नैनवां, इन्द्रगढ, हिण्डोली, बूंदी नगर में तथा बारां में नगर, अन्ता, अटरू, छबड़ा, छीपाबड़ौद, किशनगंज, मांगरोल में ज्ञापन सौपे गए। ज्ञापन में एमएसपी से नीचे खरीद रूकवाने तथा राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 में सुधार कराने की मांग की गई। कोटा महानगर में देवीशंकर गुर्जर के नेतृत्व में ज्ञापन दिया गया।

जिलाध्यक्ष गिरीराज चौधरी ने बताया कि राजस्थान कृषि अधिनियम में मौजूद प्रावधानों के बावजूद न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे खरीद एवं बिक्री धडल्ले से हो रही है। जिस पर सख्ती से कार्रवई करते हुए किसानों को आर्थिक राहत प्रदान की जानी चाहिए। राजस्थान की 247 मंडियों में से केवल 144 मंडियों में ही प्रतिदिन व्यापार होता है। उनमें से भी केवल 10 प्रतिशत में ही नीलामी होती है।

राजस्थान की सभी तहसीलों और उपतहसीलों में कृषि मंडियां है ही नहीं। ऐसे में या तो सभी उपतहसीलों में मंडियां खोली जाएं या फिर मंडी के बाहर भी उपज बेचने की छूट प्रदान की जाए। एपीएमसी एक्ट में संविदा खेती की धारा 22 में उपधारा 4 व 5 का उल्लंघन होने पर किसान की भूमि से भू राजस्व की बकाया राशि वसूल करने का प्रावधान है। जिसे समाप्त किया जाना चाहिए।

प्रचार प्रमुख रूपनारायण यादव ने कहा कि मंडी एक्ट में विवादों के निपटारे के लिए निदेशक और सचिव को अधिकृत किया गया है। जिसमें राजनीतिक कारणों से किसानों को न्याय नहीं मिल पाता है। इसके लिए स्वतंत्र रेवेन्यू न्यायाधीश को अधिकृत किया जाना चाहिए। राजस्थान में भी हरियाणा, केरल और झारखण्ड की तर्ज पर सब्जियांे, फलों और दूध का भी समर्थन मूल्य घोषित किया जाना चाहिए। राजस्थान में खरीफ धान, बाजरा, मक्का की बम्पर फसल होने के बावजूद समर्थन मूल्य पर खरीद न होने से करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ा है।

देवीशंकर गुर्जर ने कहा कि भारतीय किसान संघ की ओर से ज्ञापन में मंडी शुल्क में कमी करने, गौपालन पर अनुदान देने, पटवारियों की भर्ती करने, ईमित्र व्यवस्था को सुचारू करने, ऋण से वंचित किसानों को तुरंत ऋण दिलाने, किसानों को पेट्रोल डीजल पर अनुदान देने, नहरों का पुनर्निमाण करने, लम्बित जल सिंचाई परियोंजनाओं में प्रगति लाने, फसल खराबे का मुआवजा देने, कृषि बिलों पर मिलने वाला 833 रूपए का बंद अनुदान चालू करने, विद्युत दरों को कम करने की मांग की गई।