किसान आंदोलन: सरकार-किसान दोनों बोले- बन गई आधी बात, 4 को फिर मीटिंग

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नई दिल्ली। नए किसान बिल के विरोध तमाम किसान संगठन पिछले एक महीने से ज्यादा समय से दिल्ली और आस पास के राज्यों की सीमाओं में डटे हुए। किसानों को मनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार किसान यूनियन से बातचीत कर रही है। आज किसानों और सरकार के बीच आज छठे दौर की बातचीत दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई। सरकार की तरफ से तीन केंद्रीय मंत्रियों ने किसान यूनियन से बात की। किसान आज भी कृषि बिल वापसी की मांग पर अड़े रहे, लेकिन सरकार ने साफतौर पर किसानों की बिल वापसी की मांग ठुकरा दिया और उन्हे एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया।

दोपहर ढाई बजे शुरू हुई किसान संगठन के नेताओं और सरकार के बीच बैठक के खत्म होने के बाद नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा-आज की बैठक पहले की तरह बहुत अच्छे वातावरण में हुई। आज की बैठक में किसान संगठनों के नेताओं ने जो चार विषय चर्चा के लिए रखे थे, उसमें दो मुद्दों पर रजामंदी हो गई है। पहला- पराली को लेकर और दूसरा- बिजली कानून।” उन्होंने आगे कहा कि कृषि कानूनों और एमएसपी पर कानून को लेकर चर्चा खत्म नहीं हुई है। इसके लिए फिर से चार जनवरी को बैठक होगी। तोमर ने कहा कि सर्दी का मौसम है, इसलिए किसानों को बुजुर्गों और बच्चों को घर जाने के लिए कहना चाहिए। यह भी किसान संगठनों से मैंने कहा है।

इन दो मुद्दों पर बनी सहमति
वहीं किसान नेता चौधरी हरपाल सिंह बेलरी ने कहा कि सरकार ने पराली और बिजली से जुड़ी दो मांगें मान ली हैं। सरकार इन दोनों से जुड़े प्रावधान वापस लेने को सहमत हो गई है। बाकी दो मांगें- कृषि कानून निरस्त करने और एमएसपी पर गारंटी पर 4 जनवरी को चर्चा होगी। आज की बैठक में जिन चार मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें दो मुद्दों का हल निकल गया है।

किसान नेता टिकैत बोले, अब दो चीजें बाकी
सरकार के रुख से अभी तक नाखुश नजर आए किसान नेता राकेश टिकैत आज की वार्ता के बाद संतुष्ट नजर आए। टिकैत ने कहा कि अब दो चीजें शेष रह गई हैं, उन पर चार जनवरी को बात होगी। तब तक किसानों का शांतिपूर्ण धरना जारी रहेगा। आज अच्छे माहौल में बात हुई। सरकार ने आज हमारी दो बातें मान ली हैं। सरकार लाइन पर आई है, हम आज की वार्ता से खुश हैं।

इन मुद्दों पर हुई बात
जिन 4 मुख्य मुद्दों पर बातचीत चली, वे हैं- 1. तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए। 2. एमएसपी को कानूनी जामा पहनाएं और 3. एनसीआर में प्रदूषण रोकने के लिए बने कानून के तहत कार्रवाई के दायरे से किसानों को बाहर रखा जाए। 4. विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे को वापस लिया जाए।