वाराणसी।उत्तर प्रदेश के वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहला दीप जलाकर देव दीपावली पर्व की शुरुआत की। इस दौरान समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने न सिर्फ अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं बल्कि विपक्षी दलों पर भी तंज कसते हुए निशाना साधा। मोदी ने कहा कि कुछ लोगों के लिए विरासत का मतलब सिर्फ अपना परिवार होता है लेकिन हमारे लिए हमारी आस्थाएं-परंपराएं हमारी विरासत हैं और जिसका हम संरक्षण कर रहे हैं।
उन्होंने देव दीपावली कार्यक्रम के मंच से देश के दुश्मनों को भी सख्त संदेश देते हुए कहा कि भारत विस्तारवादी ताकतों का मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। इससे पहले पीएम ने अपने भाषण की शुरुआत भोजपुरी में की तो लोग उत्साहित होकर तालियां पीटने लगे। पीएम ने कनाडा से वापस आ रही मां अन्नपूर्णा की मूर्ति का जिक्र करते हुए कहा कि काशी की विरासत वापस लौट रही है। ऐसे में देव दीपावली पर ऐसा लग रहा है कि काशी उस आगमन की खबर सुनकर ही सजी-संवरी हो।
भोजपुरी में बोले पीएम
भाषण की शुरुआत में भोजपुरी में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘पुनवासी पर अनादि काल से गंगा में डुबकी लगावे और दान-पुण्य क महत्व रहल हौ। कोई पंचगंगा घाट, कोई दशाश्वमेध या अस्सी पर डुबकी लगायत आवत हौ। गंगा तट और गोदौलिया क ज्ञानवापी धर्मशाला त भरल पड़त रहल। पंडित राम किंकर महाराज पूरे कार्तिक महीना बाबा विश्वनाथ का राम कथा सुनावत रहलन। देश के कोने से लोग उनकर कथा सुने आवत रहने।’ प्रधानमंत्री की भोजपुरी सुनकर वहां मौजूद लोगों जमकर तालियां बजाईं।
पीएम ने आगे कहा कि कोरोना काल ने भले ही काफी कुछ बदल दिया है लेकिन काशी की ऊर्जा, काशी की भक्ति, उसकी शक्ति को कोई नहीं बदल सकता है। सुबह से ही काशीवासी स्नान ध्यान और दान में ही लगे हैं। काशी वैसे ही जीवंत है। काशी की गलियां, वैसी ही ऊर्जा से भरी हैं। काशी के घाट, वैसे ही दैदीप्यमान हैं। यही तो मेरी अविनाशी काशी है।
कांग्रेस पर तंज
विपक्षी दलों (खासतौर पर कांग्रेस) पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोगों के लिए विरासत का मतलब होता है अपना और अपने परिवार का नाम। हमारे लिए विरासत का मतलब होता है हमारी आस्थाएं। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान विरासत को संरक्षित करने में है। आज काशी की विरासत (अन्नपूर्णा की मूर्ति) वापस लौट रही है तो ऐसा लग रहा है जैसे काशी माता अन्नपूर्णा की आगमन की खबर सुनकर सजी-संवरी हो।
इशारा कर चांद को बताया देव दिवाली का साक्षी
देव दीपावली के बारे में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘लाखों दीपों से काशी के घाटों का जगमग होना अद्भुत है। गंगा की लहरों में यह प्रकाश और भी अलौकिक बना रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाती काशी महादेव के माथे पर चंद्रमा की तरह चमक रही है। काशी की महिमा ही ऐसी है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि काशी तो आत्मज्ञान से प्रकाशित होती है। इसलिए काशी पूरे विश्व को प्रकाशित करने वाली है। हर युग में काशी के इस प्रकाश से किसी न किसी महापुरुष की तपस्या जुड़ जाती है और काशी दुनिया को रास्ता दिखाती रहती है।’
पीएम ने बताया देव दीपावली का इतिहास
उन्होंने कहा कि आज हम जिस देव दीपावली के दर्शन कर रहे हैं उसकी प्रेरणा पहले पंचगंगा घाट पर आदि शंकराचार्य ने दी थी। इसके बाद अहिल्याबाई होल्कर ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। उनके द्वारा स्थापित एक हजार प्रकाश दीपों का स्तंभ आज भी इस परंपरा का साक्षी है। उन्होंने बताया कि जब त्रिपुरासुर ने पूरे संसार को आतंकित कर दिया था, भगवान शिव ने काशी की पूर्णिमा के दिन उसका अंत किया था। आतंक अत्याचार और अंधकार के अंत पर देवताओं ने महादेव की नगरी में दिवाली मनाई थी। देवों की यह दीपावली ही देव दिवाली है।
सैनिकों को नमन
उन्होंने कहा कि आज यह दीपक उन आराध्यों के लिए भी जल रहे हैं जो देश के लिए न्यौछावर हुए हैं। काशी की यह भावना, देव दीपावली का यह पक्ष भावुक कर जाता है। इस अवसर पर मैं देश की रक्षा में अपनी शहादत देने वाले हमारे वीर सपूतों को नमन करता हूं। चाहे सीमा पर घुसपैठ की कोशिश हो, विस्तारवादी ताकतों का दुस्साहत हो, या फिर देश के भीर देश को तोड़ने वाली साजिशें, देश सबका जवाब देगा और मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। इन सबके गरीबी अन्याय के खिलाफ भी बदलाव के दीये जला रहा है।
‘मंदिर बन रहा है’
प्रधानमंत्री ने कहा कि विरोध करने वालों ने काशी कॉरिडोर को लेकर भी काफी कुछ कहा था। मगर सदियों पहले काशी विश्वनाथ का मां गंगा से जो संबंध था, वो अब फिर स्थापित हो रहा है। नेक इरादे से जो काम किए जाते हैं, वो लाख विरोध के बावजूद सिद्ध होते हैं। अयोध्या इसका उदाहरण है। सालों से फैसले को लटकाने का काम किया गया, मगर जब ईश्वर ने चाह लिया तो अब मंदिर बन रहा है।