नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके मंत्री पुत्र आदित्य ठाकरे के बारे में कथित आपत्तिजनक ट्वीट करने के मामले में गुजरात से गिरफ्तार व्यक्ति की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ ने आरोपी समीर ठक्कर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी से कहा कि वह बॉम्बे उच्च न्यायालय जाएं। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय भी उसके मौलिक अधिकारों की रक्षा कर सकता है।
पीठ ने कहा-उच्च न्यायालय भी आपके मौलिक अधिकार बरकरार रख सकता है, वह मामला स्थानांतरित भी कर सकता है और आपको जमानत भी दे सकता है, फिर आप अनुच्छेद 32 के तहत याचिका के साथ यहां क्यों आ रहे हैं।
जेठमलानी ने कहा कि ठक्कर को जमानती अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया है और इससे आपको भी आघात पहुंचेगा। इस पर पीठ ने उन्हें उच्च न्यायालय जाने के लिए कहते हुए टिप्पणी की- हम अब काफी आघात मुक्त हैं, हम रोजाना यह देख रहे हैं, हमें कुछ भी आघात नहीं पहुंचाता।
इस बीच महाराष्ट्र के वकील ने कहा कि वह मजिस्ट्रेट की अदालत में उनकी जमानत का विरोध नहीं करेगा क्योंकि ठक्कर से हिरासत में पूछताछ हो चुकी है। ठक्कर के खिलाफ सिर्फ उसके ट्वीट को लेकर तीन प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और उसे 24 अक्तूबर को राजकोट से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद उसे ट्रांजिट रिमांड पर नागपुर लाया गया और उसके ट्वीट के लिए पूछताछ की गई। यही नहीं, उसकी हिरासत की अवधि भी बढ़ाई गई है।
ट्वीट करने वाले समीर ठक्कर को एक मामले में जमानत
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के खिलाफ कथित आपत्तिजनक ट्वीट करने वाले नागपुर निवासी समीत ठक्कर के विरुद्ध दर्ज तीन में से एक मामले में मुंबई की मजिस्ट्रेट अदालत ने सोमवार को जमानत दे दी। ठक्कर के वकील आबाद पोंडा ने कहा कि बांद्रा की मजिस्ट्रेट अदालत ने उनके मुवक्किल को 25,000 रुपये नकद जमा करने पर जमानत दे दी। मुख्यमंत्री और उनके मंत्री बेटे के खिलाफ ट्वीट करने के लिए मुंबई के बीकेसी साइबर सेल पुलिस थाने में ठक्कर के विरुद्ध दर्ज मामले में जमानत मिली। ठक्कर के विरुद्ध दो और मामले दर्ज हैं, जिनमें से एक नागपुर में और दूसरा मुंबई के वीपी रोड पुलिस थाने में दर्ज है।