मुंबई। महाराष्ट्र सरकार की पूरी योजना रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी को एनकाउंटर करने की थी। वह यह चाहती थी कि अर्नब पुलिस को देखते ही भागे और वहीं उसे एनकाउंटर कर दिया जाए। किन्तु वह भागे नहीं। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे को अर्नब के घर गिरफ्तार करने के लिए इसलिए भेजा था।
सूत्र बताते हैं कि अर्नब को झूठे केस में फंसाकर कोर्ट में उसकी जमानत नहीं होने देंगे। सरकार ने मुंबई हाईकोर्ट और निचली अदालत के जजों को धमका कर आखिर जमानत नहीं होने दी। जज भी जानते थे कि अर्नब को फसांया गया है। फिर भी उसे जमानत नहीं दी। कहने का मतलब यह है सरकार की पूरी रणनीति अब अर्नब को आत्महत्या के लिए मजबूर करना है। अगर नहीं मरा तो भागने का आरोप लगाकर एनकाउंटर कर दिया जाएगा। फ़िलहाल तो दिवाली तक उसे जेल में ही काटना है।
गोस्वामी आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में 4 नवंबर से न्यायिक हिरासत में हैं। बुधवार को मुंबई पुलिस की एक टीम ने अर्नब को उनके घर से गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी के लिए मुंबई पुलिस ने खास तैयारी की थी। इस हाई प्रोफाइल केस में पुलिस टीम को लीड कर रहे थे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे (Sachin Waze)।
आइए जानते हैं कौन हैं सचिन वझे:
सचिन वझे करीब 13 साल बाद 6 जून, 2020 को दोबारा से पुलिस फोर्स में लौटे हैं। 2007 में उन्होंने मुंबई पुलिस से इस्तीफा दे दिया था। सचिन वझे ने साल 1990 में बतौर सब इंस्पेक्टर मुंबई पुलिस फोर्स जॉइन की थी। सचिन वझे के नाम 63 एनकाउंटर दर्ज हैं।
सचिन वझे ने छोटा राजन और दाऊद इब्राहिम के कई गुर्गों को मौत के घाट उतारा है। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा उनके बॉस हुआ करते थे। सचिन वझे समेत 14 पुलिसकर्मियों को साल 2004 में सस्पेंड कर दिया गया था। उन सबपर 2002 घाटकोपर ब्लास्ट के आरोपी ख्वाजा यूनिस के कस्टोडियल डेथ का आरोप लगा था। सस्पेंशन खत्म ना होने से नाराज होकर 2007 में पुलिस फोर्स से रिजाइन कर दिया।
30 नवंबर, 2007 को मुंबई पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने 2008 में शिवसेना भी जॉइन कर ली। 2020 में कोरोना से फैली महामारी के बीच सचिन वझे दोबारा से पुलिस फोर्स में लौट आए। दोबारा फोर्स में लौटने के बाद अर्नब गोस्वामी को हिरासत में लेकर एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं सचिन वझे।