महाराष्ट्र सरकार ने भी राज्य में सीबीआई जांच पर लगा दी रोक

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नई दिल्ली। दरअसल, केंद्र सरकार के साथ अनबन की स्थिति में राज्य सरकारों ने अपने अधिकार क्षेत्र के सभी नियमों-कानूनों का सहारा लेना शुरू कर दिया है ताकि केंद्र के हस्तक्षेप को ज्यादा से ज्यादा हद तक रोका जा सके। भारतीय लोकतंत्र का संघीय ढांचा कहता है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार, आपसी तालमेल के साथ देश और प्रांतों का शासन-प्रशासन चलाएंगे। इसके लिए कई संवैधानिक प्रावधान किए गए हैं।

केंद्र और राज्यों के बीच कामकाज के बंटवारे के लिए केंद्र सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची भी तैयार की गई। हालांकि, जिन विषयों पर केंद्र के साथ राज्यों की सहमति नहीं बन पाती है, उन पर तनातनी की स्थिति पैदा हो ही जाती है। सीबीआई जांच को दिया गया जनरल कंसेंट वापस लेना भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है।

टीआरपी स्कैम की जांच और महाराष्ट्र सरकार का फैसला: महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार ने आदेश पारित कर कहा कि अब सीबीआई राज्य सरकार या किसी उच्च न्यायिक संस्था (हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट) से अनुमति लेने के बाद ही राज्य में किसी प्रकार की जांच कर पाएगी। उद्धव ठाकरे सरकार के इस आदेश का सीधा और स्पष्ट मतलब है कि केंद्र की एनडीए सरकार के साथ उसके रिश्ते में खटास बढ़ गई है। बहरहाल, महाराष्ट्र सरकार ने ताजा आदेश रिपब्लिक टीवी समेत पांच टीवी चैनलों की तरफ से टीआरपी में कथित छेड़छाड़ की खबरों के बीच हुई है।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, सार्वजनिक कार्य मंत्री अशोक चह्वाण, राज्य सरकार के मुख्य सचिव संजय कुमार, सीएम के प्रधान सलाहकार अजय मेहता और सीएम के अतिरिक्त मुख्य सचिव आशीष कुमार सिंह की मौजूदगी में यह फैसला लिया गया है। दरअसल, राज्य सरकार को डर सता रहा है कि टीआरपी स्कैम की जांच सीबीआई को सौंपी जा सकती है। इस कारण सरकार ने पहले ही इसकी संभावनाओं पर पानी फेर दिया।

पायलट की बगावत से डरे थे अशोक गहलोत: राजस्थान में जब सचिन पायलट ने अपनी टीम के साथ बगावत की आवाज बुलंद की तो अशोक गहलोत सरकार की स्थिति डांवाडोल होने लगी। पायलट खेमे को विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से नोटिस मिला था और पायलट इसके खिलाफ हाई कोर्ट चले गए थे। केंद्र में बीजेपी की सरकार है। ऐसे में राजस्थान की कांग्रेस सरकार को डर लग रहा होगा कि दबाव बनाने के लिए सीबीआई का इस्तेमाल हो सकता है। इसी सियासी उठापटक के बीच सरकार ने 20 जुलाई, 2020 को बड़ा फैसला लिया। सरकार ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) को राज्य में जांच और छापेमारी की दी गई अनुमति वापस ले ली। गहलोत सरकार ने आदेश पारित कर कहा कि सीबीआई को राज्य में किसी जांच से पहले उसकी अनुमति लेनी होगी क्योंकि उसने सीबीआई को दिया ‘जनरल कंसेंट’ वापस ले लिया है।

नायडू ने की थी शुरुआत : आंध्र प्रदेश की तत्कालीन चंद्रबाबू नायडू सरकार ने 8 नवंबर, 2018 को सीबीआई को राज्य में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। आंध्र प्रदेश ने महज तीन महीने पहले 3 अगस्त, 2018 को ही एक आदेश पारित करके सीबीआई को राज्य में जांच करने की ‘आम सहमति (जनरल कंसेंट)’ दी थी। तब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नायडू सरकार के इस फैसले का स्वागत किया था। ध्यान रहे कि चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में एनडीए का हिस्सा थे, लेकिन मार्च 2018 में उन्होंने खुद को गठबंधन से अलग कर लिया था। अगले विधानसभा चुनाव में नायडू की सत्ता छिन गई और वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी राज्य के नए मुख्यमंत्री बने।

​​नायडू के रास्ते पर चल पड़ीं ममता: सीबीआई को बैन करने के फैसले पर आंध्र प्रदेश के तत्कालीन सीएम चंद्रबाबू नायडू का समर्थन करने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी यही काम किया। हफ्ते भर के अंदर उन्होंने प. बंगाल में सीबीआई को जांच करने की दी गई सहमति वापस ले ली। पश्चिम बंगाल ने 1989 में राज्य में सीबीआई जांच को ‘जनरल कंसेंट’ दिया था।

जब कोलकाता में सीबीआई अफसर पर आई आफत: 3 फरवरी, 2019 को शारदी चिटफंड घोटाले के संबंध में राज्य के तत्कालीन पुलिश कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ के लिए कोलकाता पहुंची सीबीआई की टीम के साथ जो हुआ, वह इतिहास में दर्ज हो गया। प. बंगाल पुलिस ने सीबीआई अधिकारियों को ही हिरासत में ले लिया और उन्हें थाने ले गई। सीबीआई की 8 सदस्यीय टीम को जबरन वैन में भरकर शेक्‍सपियर सरनी पुलिस स्‍टेशन ले जाया गया। उधर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धरने पर बैठ गईं। बाद में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की और कोर्ट ने राजीव कुमार गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए उन्हें जांच में सहयोग करना का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को ममता ने लोकतंत्र और संविधान की जीत बताई थी।

​​CBI को बैन करने वाला तीसरा राज्य बना छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने 10 जनवरी, 2019 को आंध्र प्रदेश और प. बंगाल के नक्शे कदम पर चलते हुए सीबीआई को राज्य में जांच के लिए दिया गया जनरल कंसेंट वापस ले लिया। प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर इसकी जानकारी दी और कहा कि वो सीबीआई के बता दे कि राज्य सरकार की अनुमति लिए बिना वह यहां जांच करने के लिए नहीं आए। हालांकि, बघेल सरकार ने इस फैसले के पीछे का कोई कारण नहीं बताया।