नई दिल्ली। बड़े कॉरपोरेट लोन की रिस्ट्रक्चरिंग की रूपरेखा बनाने के लिए नियुक्त की गई केवी कामथ समिति ने कंस्ट्रक्शन, स्टील, रोड, रियल एस्टेट समेत 26 सेक्टर का चयन रिस्ट्रक्चरिंग योजना के लिए किया है। साथ ही समिति ने रिस्ट्रक्चरिंग की पात्रता तय करने के लिए कुछ मानक निर्धारित कर दिए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को रिपोर्ट को अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी।
आरबीआई ने मोराटोरियम खत्म होने के बाद किया था ऐलान
कोरोना संकट के चलते कंपनियों के सामने आई दिक्कतों को खत्म करने के लिए आरबीआई ने पहले 6 महीने का मोराटोरियम दिया था। मोराटोरियम की अवधि समाप्त होने के बाद आरबीआई ने लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा देने का ऐलान किया था। उसी समय बड़े कॉरपोरेट लोन की रिस्ट्रक्चरिंग की रूपरेखा बनाने के लिए जाने-माने बैंकर केवी कामथ की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था।
समिति ने चार सितंबर को सौंपी थी रिपोर्ट
कामथ समिति ने लोन रिस्ट्रक्चरिंग को लेकर चार सितंबर को अपनी रिपोर्ट आरबीआई को सौंप दी थी। इसे सोमवार को मंजूरी मिल गई। कमेटी ने चुने हुए 26 सेक्टर में कंपनी की लीवरेज, लिक्विडिटी, डेट सर्विसेबिलिटी जैसे मानकों का आकलन करने के लिए पांच किस्म के रेश्यो व उनके थ्रेशहोल्ड तय किए हैं। कमेटी ने ये पैरामीटर्स रेटिंग एजेंसियों और लोन देने वाली संस्थाओं के साथ विचार-विमर्श के आधार पर चुने हैं। जहां रेश्यो तय नहीं है, वहां सोल्वेंसी रेश्यो के लिए बैंक खुद आंतरिक मूल्यांकन कर सकेंगे। जैसे ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए कमेटी ने करेंट रेश्यो के लिए कोई थ्रेशहोल्ड नहीं तय किया है। इसी तरह एविएशन सेक्टर के लिए करेंट रेश्यो 4.0 रखा गया है।
10 लाख करोड़ रुपए के लोन रिस्ट्रक्चरिंग का अनुमान
रिपोर्ट में कहा गया है कि सेक्टर विशेष पैरामीटर्स को उस सेक्टर के उधारकर्ता के रेजोल्यूशन प्लान के मार्गदर्शन के रूप में माना जा सकता है। रेजोल्यूशन प्लान उधारकर्ता के कोविड-पूर्व और वित्त वर्ष 2020-21 के पहले व दूसरी तिमाही में संचालन व वित्तीय प्रदर्शन और अगले व आने वाले वर्ष में नकदी प्रवाह के आकलन के आधार पर तैयार किया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक, इन सेक्टर्स के 10 लाख करोड़ रुपए के लोन के रिस्ट्रक्चरिंग में मदद मिलेगी।
इन सेक्टर्स के लोन रिस्ट्रक्चरिंग की अनुमति
पावर, कंस्ट्रक्शन, स्टील, रोड, रियल एस्टेट, होलसेल ट्रेडिंग, टैक्सटाइल, कैमिकल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, नॉन-फेरस मेटल, फार्मास्युटिक मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स, जेम्स एंड ज्वैलरी, सीमेंट, ऑटो कंपोनेंट, होटल-रेस्तरां-टूरिज्म, माइनिंग, प्लास्टिक प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग, ऑटो डीलरशिप, एविएशन, शुगर, पोर्ट एंड पोर्ट सर्विस, शिपिंग, बिल्डिंग मैटेरियल और कॉरपोरेट रिटेल आउटलेट्स।
प्रत्येक बैंक बोर्ड को पास करना होगा प्रस्ताव
अब सभी बैंकों को रिपोर्ट और आरबीआई की अनुशंसा के आधार पर लोन रिस्ट्रक्चरिंग प्लान को मंजूरी देनी होगी। प्रत्येक बैंक अपने बोर्ड से इससे जुड़ा प्रस्ताव पास करेगा। चार्टर्ड अकाउंटेंट कीर्ति जोशी का कहना है कि केवी कामथ समिति ने पैरामीटर्स तय करने उदारता दिखाई है। सभी सेक्टर के लिए करेंट रेश्यो एक करने से ज्यादातर कंपनियों की कर्ज लेने की पात्रता बढ़ जाएगी। सामान्यता ये रेश्यो 1.3 के आसपास रहता है। जिन सेक्टरों का चयन नहीं हुआ है, उन कंपनियों के लोन की भी रिस्ट्रक्चरिंग हो सकती है। हालांकि, उसके नियम बैंक तय करेंगे।