गहलोत सरकार ने 3 दिन विधानसभा चलाकर विधायकों को दिया 13 दिन का भत्ता
भारतीय किसान संघ ने बलराम की जयंती मनाई
कोटा। भारतीय किसान संघ कोटा महानगर की ओर से मंगलवार को दोपहर 12 बजे संभागीय आयुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर धरना दिया जाएगा। भारतीय किसान संघ के संभागीय प्रवक्ता आशीष मेहता ने बताया कि किसानों की 21 सूत्रीय मांगों को लेकर लगातार आन्दोलन किया जा रहा है।
मेहता ने बताया कि किसानों के मुद्दों पर सत्ता में आने वाली राज्य सरकार किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है। सरकार 3 दिन विधानसभा चलाकर विधायकों को 13 दिन का भत्ता दे सकती है, लेकिन किसानों को कृषि बिल पर मिलने वाली 833 रूपए की छूट सरकार को मंजूर नहीं है।
उन्होंने बताया कि भारतीय किसान संघ कोटा महानगर की ओर से किसानों के आराध्य देव भगवान बलराम की जयंती पर सोमवार को देवनारायण मंदिर चंद्रेसल रोड कालातलाव पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महानगर अध्यक्ष महावीर नागर ने की। वहीं पीडी धाकड़ ने भगवान बलराम के किसानों के आराध्य होने के बारे मे विस्तार से बताया। किसानों ने बलराम जयंती कार्यक्रम करने का संकल्प लिया।
महावीर नागर ने संबोधित करते हुए कहा कि कृषि देवता भगवान बलराम वासुदेव- रेवती के पुत्र, शेषावतार, हलधर, बलभद्र, संकर्षण आदि नामों से भी जाने जाते हैं। वे दुर्योधन एवं भीम के गुरु, कृषि यंत्रों, बीजो, सिंचाई साधनों, नूतन कृषि तकनीक का विकास, हल और मूसल को धारण किए दुष्ट दलन में भगवान श्री कृष्ण के साथ रहे। भारतीय किसान संघ भारत के किसानों को आत्मनिर्भर, सम्मानित और अधिकार संपन्न देखना चाहता है। इसलिए भगवान बलराम को भारतीय किसान संघ के प्रतीक के रूप में माना गया। भगवान बलराम केवल परंपरागत खेती की अवधारणा पर चलने वाले नहीं थे।
धाकड़ ने कहा कि भगवान बलराम ने खेती के प्रकार, खेती के साधन और सिंचाई के साधनों का विकास किया। भगवान बलराम भारतवर्ष को सौभाग्यशाली, समृद्धशाली, उन्नत राष्ट्र बनाना चाहते थे। वे किसानों को विकसित खेती करने और धन-धान्य से परिपूर्ण होकर हमें वैभव संपन्न जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। भारत में उन्नत कृषि तकनीक को लाने का योगदान भगवान बलराम को ही जाता है।
कार्यक्रम मे मंत्री नंदलाल गौड़, उपाध्यक्ष जमनालाल नागर, नंद किशोर नागर, हेमराज नागर, नंदलाल नागर, प्रहलाद, राजेश कटारिया, कमलेश जांगिड़, धन्नालाल लशकरी, भागचंद लशकरी, शांति लाल चंद्रेसल, सत्यनारायण रोटेदा, बद्रीलाल सुमन सोगरिया उपस्थित थे।