कोटा। भारतीय किसान संघ का राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियों के विरूद्ध प्रदेशव्यापी आन्दोलन शुरू हुआ। जिसके तहत प्रदेश के सभी जिला केंद्रों पर प्रदर्शन किए गए। संभागीय मीडिया प्रभारी आशीष मेहता ने बताया कि कोटा, बारां और झालावाड़ में बड़ी संख्या में किसानों के द्वारा कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर धरना दिया गया।
कोटा जिले की दीगोद, सुल्तानपुर, सांगोद, कनवास, रामगंजमंडी, बपावर, इटावा समेत विभिन्न क्षैत्रों से किसान जिला कलैक्ट्रेट पर पहुंचे। जहां बिजली बिलों की होली जलाई गई तथा किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। इससे पहले किसान सर्किट हाउस पर एकत्र होकर रैली के रूप् में नारेबाजी करते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। हालांकि कोरोना गाइडलाइन के चलते चुनिंदा लोगों को ही प्रदर्शन में बुलाया गया था। बूंदी जिले में बुधवार को प्रदर्शन किया जाएगा।
धरने को संबोधित करे हुए प्रान्त महामंत्री जगदीश कलमंडा ने कहा कि कोरोना गाइडलाइन के चलते अभी चुनींदा किसानों को ही आने के लिए कहा था, लेकिन किसानों की मांगें नहीं मानी गई तो किसान उग्र आन्दोलन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि बिजली के नए कनेक्शन जारी नहीं किए जा रहे हैं, जिन्हें तत्काल जारी किया जाए। वहीं कृषि विद्युत बिलों में दिया जाने वाला 833 रुपये प्रतिमाह का बकाया विद्युत अनुदान एक मुश्त विद्युत बिलों में समायोजित किया जाना चाहिए।
प्रान्त संगठन मंत्री परमानन्द ने कहा कि सहकारिता ऋण की साख घटाकर केवल 30 से 35 हजार कर दी गई है। जिससे किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा खरीफ 2019 फसलों का मुआवजा अभी तक किसानों को नहीं मिल पाया है। न ही प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ ही मिल पाया है। ऐसे में, किसानों के साथ राज्य सरकार के द्वारा अन्याय किया जा रहा है। यदि किसानों की मांगों को जल्द नहीं माना गया तो अगस्त के पहले सप्ताह में अनिश्चितकालीन महापड़ाव डाल दिया जाएगा।
जिलाध्यक्ष गिरीराज चौधरी ने कहा कि ओलावृष्टि, टिड्डी हमलों व पाला गिरने से हुआ आर्थिक नुकसान हुआ है। राज्य सरकार ने ब्याज मुक्त सहकारी ऋण में की 50 प्रतिशत से अधिक की कटौती कर दी। लेकिन विद्युत बिलों में दिया जाने वाला 833 रुपये का अनुदान बंद कर दिया गया। कोरोना के कारण सप्लाई चैन टूटी तो फसलों के दाम में गिरावट आई है। जबकि समर्थन मूल्य पर खरीद भी मात्र औपचारिकता बनकर रह गई है।
समर्थन मूल्य पर खरीद को अनिवार्य किया जाना चाहिए या फिर भावान्तर योजना लागू हो। उनहोंने कहा कि टिड्डी नियंत्रण में विफल रही सरकार नुकसान का मुआवजा दे। इस अवसर पर चित्तौड़ प्रांत के महामंत्री जगदीश कलमंडा, प्रान्त संगठन मंत्री परमानन्द, जिला अध्यक्ष गिरिराज चैधरी, प्रचार प्रमुख रूपनारायण यादव, तहसील देवली अध्यक्ष अश्वनी कुमार जैन, रामगंजमंडी तहसील अध्यक्ष प्रहलाद नागर, जिला उपाध्यक्ष मुकट नागर, लाडपुरा तहसील अध्यक्ष राजेंद्र नागर समेत कईं कार्यकर्ता मौजूद रहे।