PM नरेंद्र मोदी के गोद लिए गांव की रिपोर्ट लिखने वाली पत्रकार सुप्रिया पर FIR

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नई दिल्ली। देश में कोरोनावायरस की वजह से सरकार को लॉकडाउन लगाना पड़ा। केंद्र की तरफ से अचानक हुए इस फैसले से प्रवासी मजदूरों के साथ जहां-तहां फंसे लोगों को भी सुविधाओं की काफी कमी हुई थी। इस पर कई पत्रकारों ने रिपोर्टिंग कर शासन और प्रशासन की कमियों को उजागर किया था। हालांकि, ऐसी ही रिपोर्टिंग के लिए एक न्यूज वेबसाइट की एग्जीक्यूटिव एडिटर और चीफ एडिटर (प्रमुख संपादक) पर एफआईआर दर्ज हुई है।

दरअसल, Scroll.in की पत्रकार सुप्रिया शर्मा ने लॉकडाउन में प्रधानमंत्री मोदी के गोद लिए गांव डोमरी में भूख से प्रभावित लोगों की एक रिपोर्ट छापी थी। बताया गया है कि उनके ऊपर इसी रिपोर्ट को लेकर केस हुआ है। सुप्रिया शर्मा की यह रिपोर्ट स्क्रोल पर 8 जून को पब्लिश हुई थी। जबकि एफआईआर 13 जून को दर्ज कराई गई।

बताया गया है कि एफआईआर दर्ज कराने वाली माला देवी नाम की एक महिला हैं, जिनके एक बयान को सुप्रिया ने अपनी रिपोर्ट में शामिल किया था। स्क्रोल की एग्जीक्यूटिव एडिटर सुप्रिया और चीफ एडिटर पर आईपीसी की धारा 269 (खतरनाक बीमारी का संक्रमण फैलाने के लिए लापरवाही से काम करने) औ धारा 501 (मानहानि पहुंचाने वाली सामग्री छापने) और एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ है।

इस एफआईआर पर स्क्रोल की ओर से भी बयान जारी किया गयाय़ इसमें कहा गया है “Scroll.in ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित डोमरी में 5 जून 2020 को माला का इंटरव्यू लिया था। उन्होंने जो कुछ भी बयान दिया, वही हमने अपने लेख में छापा है। इस लेख का शीर्षक था- प्रधानमंत्री मोदी के वाराणसी स्थित गोद लिए गांव में लॉकडाउन के दौरान लोग भूखे। स्क्रोल ने कहा है कि वह इस लेख के साथ खड़ा है।

गौरतलब है कि किसी पत्रकार पर एफआईआर दर्ज होने का यह पहला मामला नहीं है। कुछ दिनों पहले ही एक मामले में वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ पर दिल्ली के साथ हिमाचल प्रदेश में भी केस दर्ज हुए थे। उन पर अपने यूट्यूब चैनल के जरिए कुछ खबरें चलाने के लिए फेक न्यूज फैलाने और देशद्रोह की धाराओं के तहत मामले दर्ज हुए थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र के वाराणसी में गोद लिए गांव पर एक रिपोर्ट लिखने वाली ‘Scroll’ की पत्रकार सुप्रिया शर्मा पर एफआईआर दर्ज होने के बाद Editors Guild of India ने इस कार्रवाई पर आपत्ति जताई है। शुक्रवार को गिल्ड ने बयान जारी कर कहा कि सरकार ऐसा कर कानून का दुरुपयोग न करे।

इसी बीच, Network of Women in Media, India ने भी स्क्रॉल पत्रकार के खिलाफ हुए इस ऐक्शन की कड़ी निंदा की है। उनकी तरफ से कहा गया कि ये मीडिया की आवाज दबाने की कोशिश है। सुप्रिया को निशाना बनाया गया है, लिहाजा हम उनके खिलाफ इस एफआईआर को वापस लेने की मांग करते हैं।

19 जून, 2020 को जारी किए गए बयान में ईजीआई ने कहा- हम स्क्रॉल की पत्रकार के खिलाफ वाराणसी के रामनगर पुलिस थाने में दर्ज की गई एफआईआर को लेकर गहरी चिंता में हैं। एफआईआर 13 जून को विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई थी। सुप्रिया ने अपनी रिपोर्ट में माला देवी नाम की एक शिकायतकर्ता के बयान का हवाला दिया था, जो कि आठ जून को अंग्रेजी वेबसाइट स्क्रॉल डॉट कॉम पर प्रकाशित हुई थी।

गिल्ड के बयान में आगे कहा गया- पत्रकार ने पांच जून को वाराणसी के डोमरी गांव में माला देवी का इंटरव्यू किया था और उनकी कही गई बातें रिपोर्ट में जस की तस शामिल की गईं। इस रिपोर्ट का शीर्षक- ‘इन वाराणसी विलेज अडॉप्डेट बाय प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी, पीपल वेंट हंगरी ड्यूरिंग द लॉकडाउन’ (पीएम मोदी द्वारा गोद लिए गए वाराणसी के गांव में लॉकडाउन के दौरान लोग भूखे रहे थे) था।