नई दिल्ली। कोरोनावायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए चल रहे लॉकडाउन के बीच केंद्र सरकार ने बैंकिंग सेक्टर को लेकर बड़ा फैसला किया है। सरकार ने बैंकिंग सेक्टर को 6 महीने के लिए जन उपयोगी सेवाओं में शामिल कर लिया है। यह बदलाव इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट के तहत किया गया है। बैंकिंग सेवाओं के एक्ट में शामिल होने के बाद अब कोई भी कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल नहीं कर सकेगा। यह नया नियम 21 अप्रैल से लागू हो गया है।
छह महीने तक लागू रहेगा नया नियम
वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले वित्त विभाग की ओर से 20 अप्रैल को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि श्रम मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन के जरिए बैंकिंग इंडस्ट्री को 6 महीने के लिए जन उपयोगी सेवाओं में शामिल कर लिया है। वित्त विभाग ने कहा है कि यह समय-सीमा 21 अप्रैल से लागू हो गई है। श्रम मंत्रालय की ओर से 17 अप्रैल को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि कोरोनावायरस संक्रमण के कारण आर्थिक गतिविधियों पर बड़े पैमाने पर असर पड़ा है। इसी कारण से बैंकिंग सेक्टर को जन उपयोगी सेवाओं में शामिल किया गया है।
सभी बैंकों को भेजा सर्कुलर
वित्तीय सेवा विभाग ने नए कानून के लागू होने के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर, एसबीआई के चेयरमैन, राष्ट्रीयकृत बैकों के एमडी और सीईओ और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के सीईओ को सर्कुलर भेज दिया है। बैंकिंग सेक्टर में दर्जनभर से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारी यूनियंस हैं। यह यूनियंस प्रत्येक तीन साल की अवधि पर आईबीए के साथ वेतन समेत अन्य मुद्दों पर विचार करती हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक आईबीआई के सदस्य
सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों के साथ एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, फेडरल बैंक जैसे पुराने जमाने के प्राइवेट सेक्टर के बैंक भी आईबीए के सदस्य हैं। इसके अलावा पुराने विदेशी बैंक एचएसबीसी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और सिटी बैंक भी आईबीए के सदस्य हैं। यह सभी बैंक वेतन और कर्मचारियों के अन्य मुद्दों के सुलझाने के लिए आईबीए से बातचीत करते हैं। कोटक बैंक, इंडसइंड बैंक और यस बैंक जैसे नए बैंक आईबीए के नियमों के दायरे से बाहर हैं।