इस साल काबुली चना 95 हजार टन तक कम पैदा होने के आसार

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इंदौर। देश में इस साल काबुली चने का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 95 हजार टन तक कम पैदा होने के आसार हैं। मध्यप्रदेश में इस साल बारिश अधिक होने किसानों का रुझान अन्य फसलों खासकर गेहूं की ओर मुड़ने से काबुली चने के रकबे में कमी आई है। लेकिन इसके दाम बढ़ना इस बात पर निर्भर करेगा कि देश से इसका निर्यात कैसा होता है जो इन दिनों काफी सुस्त है।’

देश में इस साल काबुली चने की बोआई 3.84 लाख हेक्टेयर में हुई जबकि पिछले साल यह बोआई 4.62 लाख हेक्टेयर में थी। हालांकि,इस साल मौसम अनुकूल होने से प्रति हेक्टेयर इसकी यील्ड बेहतर आ रही है। इस साल प्रति हेक्टेयर यील्ड 908 किलोग्राम रहने के आसार हैं जो पिछले सीजन में 864 किलोग्राम था। इस तरह इस साल देश में काबुली चने की पैदावार 3.03 लाख टन होने का अनुमान है।

यह उत्पादन पिछले साल 3.99 लाख टन था। उत्पादन में कमी की वजह इसके रकबे में आई कमी है। यद्यपि, नई फसल पर काबुली चने का कैरीओवर स्टॉक 75 हजार टन रहने का अनुमान है। इस तरह, कुल उपलब्धता हमारी घरेलू एवं निर्यात मांग के लिए पर्याप्त नहीं है। हालांकि, काबुली चने के दाम इन दिनों सुस्त हैं एवं इसके भावों का भाग्य इस पर निर्भर करेगा कि इसका निर्यात कैसा होता है। पिछले दिनों काबुली चने के निर्यातकों पर पड़े छापों के बाद इसका निर्यात एकदम सुस्त पड़ गया है।’

नया काबुली चना 44/46 काउंट ऊपर में 6000 रुपए प्रति क्विंटल बोला जा रहा है जो जून में 8000-10000 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच सकता है। इंदौर के कमोडिटी विश्लेषक अनिल परमार का कहना है कि काबुली चने के भाव तभी बढ़ पाएंगे जब इसका निर्यात बढ़ेगा। हालांकि, अभी रमजान की मांग देखने को मिलेगी जो इसके दाम मजबूत कर सकती है।

बड़ी तेजी के लिए जून तक इंतजार करना होगा। इस साल रमजान अप्रैल में है। भारत से ही खाड़ी देशों में शिपमेंट मैक्सिकों एवं कनाडा की तलना में जल्दी पहुंच सकता है। कारोबारियों का कहना है कि इस साल काबुली चने में तेजी आने के दो मौके होंगे एक मार्च में और दूसरा जून के बाद।