जयपुर। राजस्थान में संचालित सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों (private Universities) पर नियंत्रण के लिए सरकार जल्द ही नियामक आयोग गठित करेगी। उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने बुधवार को विधानसभा में निजी विश्वविद्यालयों की कार्यशैली पर चर्चा का जवाब देते हुए इसकी घोषणा की।
भाजपा विधायक व पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी इस पर चर्चा के दौरान कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा का ढर्रा बिगडा पड़ा है जिसमें सुधार करने के लिए मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ की तर्ज पर उच्च शिक्षा नियामक आयोग बनाना होगा। चर्चा का जवाब देते हुए भाटी ने बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़े, फीस पर नियंत्रण हो एवं विद्यार्थियों का शोषण न हो, इसके लिए हमने विनियामक आयोग गठन करने का वादा किया था।
उन्होंने कहा कि पहले भी विनियामक आयोग बनाने के लिए समिति का गठन कर विषय विशेषज्ञों की राय ली गई थी, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। हम इसके निष्कर्षों का अध्ययन कर रहे हैं और विभिन्न विश्वविद्यालयों की शिकायतों का परीक्षण एवं अन्य राज्यों के आयोगों का अध्ययन करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बनाने और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए सदस्यों के बहुमूल्य एवं उपयोगी सुझावों को भी शामिल किया जाएगा।
विधानसभा में उठा निजी विवि में भ्रष्टाचार का मुद्दा
निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने चर्चा के दौरान निजी विश्वविद्यालयों भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालय पूंजीपतियों की नालायक संतानों को डिग्रियां बांटने का ठिकाना बन गए हैं। संयम लोढ़ा ने सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों पर कार्रवाई की मांग की। इसके जवाब में भंवर सिंह भाटी बोले कि निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना से राज्य में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
पांच हजार करोड़ रुपए का निवेश हुआ है और अन्य राज्यों के विद्यार्थी भी अध्ययन करने के लिए राजस्थान आते हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी संसाधनों का शिक्षा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना से उच्च शिक्षा का अनुपात बढ़ाने में मदद मिली है। हम सभी विश्वविद्यालयों पर अंगुली नहीं उठा सकते हैं, हालांकि कुछ विश्वविद्यालयों की शिकायतें मिलती रहती हैं, जिन्हें रोकने की आवश्यकता है।
प्रदेश में 4 राज्य वित्त पोषित विवि तथा 51 निजी
मंत्री भाटी ने बताया कि 2004 में राजस्थान में सकल नामांकन अनुपात केवल 6.04 था, जो 2018-19 में बढ़कर 23 हो गया है। 2004 में अनुसूचित जाति वर्ग में यह अनुपात 7 था जो बढ़कर अब 20 हो गया है। इसी तरह अनुसूचित जनजाति वर्ग में 2004 में अनुपात 4.81 था जो अब बढ़कर 21.5 हो गया है। अनुसूचित जनजाति वर्ग में सकल नामांकन अनुपात राष्ट्रीय औसत से अधिक है। जहां इस वर्ग का राष्ट्रीय औसत 17.2 है वहीं राजस्थान का 21.3 है। भाटी ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में 14 राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालय तथा 51 निजी विश्वविद्यालय हैं।