इन्फोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति पर बनेगी बॉयोपिक

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बेंगलुरु। आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी इन्फोसिस के फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति की जिंदगी पर फिल्म बनाई जा रही है। करीब 40 साल पहले शुरू हुई इन्फोसिस ने मिडल-क्लास इंडियन की एक पीढ़ी पर बड़ा असर डाला था। इस सेक्टर ने भारत को दुनियाभर में शोहरत दिलाई थी। फिल्म में इन पहलुओं को दिखाया जाएगा।
राइटर, डायरेक्टर, प्रड्यूसर की जोड़ी अश्विन अय्यर और नितेश तिवारी फिल्म के लिए स्क्रीनप्ले फाइनल कर रहे हैं।

यह मूवी तमिल और हिंदी के अलावा मूर्ति की मातृ भाषा कन्नड़ में भी बनाई जाएगी। ऐडवर्टाइजिंग प्रफेशनल से फिल्ममेकर बनीं अश्विन ने बताया, ‘जब हमने इस फिल्म के लिए मूर्ति जी से बात की तो वह चाहते थे कि हम उनकी कहानी को सही-सही ढंग से दिखाएं। वह चाहते थे कि फिल्म एक डेडलाइन के अंदर खत्म हो। उन्हें ऐसा प्रॉजेक्ट नहीं चाहिए था जिसका कभी अंत ही ना हो। उनकी कहानी जितनी जल्दी दुनिया के सामने आएगी उतना ही बेहतर होगा।’

सुधा मूर्ति ने कहा, ‘मैं दूसरों की जिंदगी और उनकी उपलब्धियों पर बनी फिल्में बहुत खुशी से देखती हूं, जैसे कि एमएस धोनी पर बनी फिल्म। लेकिन, हमारे ऊपर बनी फिल्म देखने में या उसके बारे में बात करने में मुझे शर्म महसूस होगी। यह भी सच है कि हम इससे भाग नहीं सकते और यही जिंदगी की हकीकत है।’ सुधा इन्फोसिस फाउंडेशन की हेड हैं और खुद एक फिलांथ्रपिस्ट भी हैं। फिल्म निर्माता फिलहाल उनके बच्चों सहित परिवार और दोस्तों से जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं।

अश्विन ने 2016 में ‘निल बट्टे सन्नाटा’ फिल्म के साथ बॉलिवुड में अपनी पारी की शुरुआत की थी। उनकी फिल्म पंगा जिसमें कंगना रनौत अभिनेत्री हैं वह अभी थिएटर में लगी हुई है। इसमें एक कबड्डी चैंपियन महिला जो मां बनने के कुछ सालों बाद खेल के मैदान में लौटती है उसकी कहानी दिखाई गई है। प्रड्यूसर्स ने शूटिंग तक के समय के लिए फिल्म का नाम ‘मूर्ति’ रखा है। अभी फिल्म के लिए क्रू या टाइटल तय होना बाकी है।

अश्विन ने कहा, ‘हमारा ध्यान अभी स्क्रिप्ट खत्म करने पर है। जैसे ही स्क्रिप्ट तैयार होगी हम कास्ट तय कर लेंगे। हमारे पास कई उम्दा ऐक्टर्स मौजूद हैं। हमारे पास विचार करने के लिए कई विकल्प हैं।’ अश्विन खुद सुधा मूर्ति की फैन हैं। सुधा मूर्ति के लिए फिल्में कोई नया अनुभव नहीं है। वह पहले प्रार्थने, प्रीति इल्लड़ा मेले और उप्पु हुली, खारा जैसी कन्नड़ फिल्मों में कैमियो रोल निभा चुकी हैं। हालांकि, इस बार कहानी के फोकस में वह खुद होंगी।

सुधा ने गोल्ड गिरवी रखा था जिससे नारायण मूर्ति ने 10,000 रुपये जुटाए थे। 1981 में पुणे में छह एंप्लॉयीज के साथ इन्फोसिस की शुरुआत हुई थी। इसके बाद ऑफिस बेंगलुरु शिफ्ट हो गया था।