स्मार्ट टीवी या मोबाइल ही नहीं, कार भी कर रही आपकी जासूसी: जानिए कैसे

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नई दिल्ली। वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में यह समझाया गया है कि किस तरह आपकी कार भी आपकी जासूसी कर सकती है। आर्टिकल में कहा गया कि मौजूदा समय में कार सबसे सोफेस्टिकेटेड कंप्यूटर है। भले ही आपके पास लैपटॉप हो लेकिन कार के मल्टिपल कनेक्टेड ब्रेन होते हैं जो हर घंटे 25GB तक डेटा जनरेट कर सकते हैं। यानी आप 1TB हार्ड डिस्क एक महीने में भर सकते हैं।

कैसे जासूसी करती हैं कारें ?
आर्टिकल में बताया गया कि पिछले दो दशकों में लगातार कारों में नए सेंसर्स जुड़ते जा रहे हैं। ये कार निर्माताओं के साथ सीधे तब तक संपर्क नहीं कर सकती जब तक कार में ‘बिल्ट इन इंटरनेट’ न हो। अब ज्यादातर नई कार बिल्ट इन इंटरनेट के साथ आती हैं। आर्टिकल में समझाया गया है कि यूएस में फोर्ड, जीएम और BMW के 100 प्रतिशत मॉडल इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ आते हैं।

क्या है बिल्ट इन इंटरनेट ?
एक कनेक्टेड कार खुद के डेटा सिम के साथ आती है। GM ने 1.1 करोड़ से ज्यादा ऐसी कारें बेच चुकी है। अब इंडिया में भी कई कनेक्टेड कारें बाजार में दस्तक दे चुकी हैं। यानी भारत में कारों से जासूसी के मामले बढ़ेंगे।

कितना खतरनाक है डेटा कलेक्शन ?
कारों द्वारा कलेक्ट किया गया काफी डेटा खतरनाक नहीं है जैसे एक्सेलरेशन और स्पीड का डेटा। इसका इस्तेमाल कंपनियां मकैनिकल इंप्रूवमेंट्स के लिए कर सकती हैं। लेकिन स्मार्टफोन प्लग इन करते ही आपकी लोकेशन का डेटा, फोन का डेटा, कॉन्टैक्ट्स जैसी इंफॉर्मेशन भी इंफोटेंटमेंट सिस्टम कॉपी करता है।

कार कंपनियां इस बारे में जवाब नहीं देती कि कंपनी क्या डेटा कलेक्ट कर रही है। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक कनेक्टेड कारें आपकी लोकेशन तब भी रिकॉर्ड करती हैं जब आप नेविगेशन सिस्टम का इस्तेमाल नहीं करते हैं।