नई दिल्ली । राजधानी समेत पूरे देश में 1 जनवरी के बाद जीएसटी पंजीयन के लिए आधार नंबर देना सभी व्यापारियाें के लिए जरूरी हाे गया है। जीएसटी काउंसिल ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके अनुसार फर्म के लिए उसके मालिक, कार्पोरेशन के लिए उसके एमडी, सहकारी समिति के लिए उसके अध्यक्ष काे अपना आधार नंबर देना हाेगा।
केवल वस्तुओं में कारोबार करने वाले व्यापारियों के लिए जीएसटी पंजीयन से छूट की सीमा 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपए कर दी गई है। इस फैसले से भाेपाल के करीब 15 हजार अाैर प्रदेश के 80 हजार से अधिक व्यापारियों को पंजीयन नहीं लेना पड़ेगा। सर्विसेस के लिए जीएसटी पंजीयन में छूट सीमा भले ही 20 लाख ही रखी गई हो, लेकिन राज्यों को इसकी 40 लाख तक सीमा बढ़ाने के अधिकार दिए गए हैं।
आधार से डुप्लीकेशन नहीं हाे सकेगा
डुप्लीकेशन से बचने के लिए सरकार ने आधार कार्ड की अनिवार्यता की है। राज्य सरकार को पहली बार सर्विस के दायरे में आ रहे व्यापारियों की संख्या का आकलन कर उनके लिए पंजीयन से छूट की सीमा तय करने का अधिकार मिला है।
गलत मद में जाने से पैसा अब नहीं हाेगा ब्लाॅक
अभी ब्याज मद में देय पैसा यदि पेनाल्टी मद चला जाए ताे वह तीन से चार माह तक ब्लाॅक हाे जाता है। इस अवधि में भोपाल के व्यापारियों के 40 करोड़ और प्रदेश के व्यापारियों के करीब 300 करोड़ रुपए फंसे रहते थे।
अब ऐसी गलती पर व्यापारी एक्टिवेटेड फार्म पीएमटी-क्यू 9 भरकर गलत मद में गए पैसे को सही मद में ट्रांसफर कर सकेंगे। ऐसे ही पेनाल्टी मद में देय पैसा गलती से ब्याज मद में चला जाए ताे यह एडजस्ट नहीं हाेता है। नए नियमाें में सरकार ने व्यापारी को भूल सुधार के विकल्प दिए हैं।