नई दिल्ली। पीएमसी बैंक में हुए घोटाले से सबक लेते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कॉपरेटिव बैंक के नियमों में कुछ बदलाव करने का प्रस्ताव रखा है। इनमें 500 करोड़ रुपए व इससे अधिक की संपत्ति वाले सभी शहरी कॉपरेटिव बैंकों (यूसीबी) को सीआरआईएलसी रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क के दायरे में लाना भी शामिल है।
आरबीआई के स्टेटमेंट ऑन डेवलपमेंटल एंड रेगुलेटरी पॉलिसीज के मुताबिक आरबीआई ने सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंकों, सभी भारतीय वित्तीय संस्थानों और कुछ गैर-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) का एक सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ इन्फोर्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट्स (सीआरआईएलसी) तैयार किया है। सीआरआईएलसी बनाने के कई मकसद हैं।
इनमें ऑफसाइट सुपरविजन का मजबूत करना और वित्तीय तनाव की समय रहते पहचान करना भी शामिल है। आरबीआई ने इस स्टेटमेंट में कहा कि प्राथमिक शहरी कॉपरेटिव बैंकों द्वारा दिए गए बड़े कर्जों का ऐसा ही एक डाटाबेस बनाने के नजरिए से उसने 500 करोड़ रुपए व इससे अधिक के ऐसे संस्थानों को सीआरआईएलसी के रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क के तहत लाने का फैसला किया है। इस बारे में विस्तृत निर्देश इस महीने के आखिर में आएगा।
जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा होगी
आरबीआई ने कहा कि यूसीबी के एक्सपोजर में कंसंट्रेशन जोखिम को कम करने के लिए और वित्तीय समावेशीकरण को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका को और मजबूत करने के लिए यूसीबी से जुड़े कुछ नियामकीय दिशानिर्देशों में संशोधन करने का प्रस्ताव किया जा रहा है।
दिशानिर्देश का संबंध अन्य बातों के अलावा मुख्यत: एकल और ग्रुप/इंटरकनेक्टेड कर्जधारकों के लिए एक्सपोजर मानक, वित्तीय समावेशीकरण को बढ़ावा देने और प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग से होगा। इन कदमों से यूसीबी अधिक मजबूत बनेंगे और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा होगी। प्रस्तावित बदलावों पर जल्द ही एक मसौदा सर्कुलर जारी होगा।