नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाले ‘इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण एवं विज्ञापन ) प्रतिबंध विधेयक’ को लोकसभा ने बुधवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से देश में युवा पीढ़ी को ई-सिगरेट जैसे नशे की चपेट में आने से रोका जा सकेगा।
केंद्र सरकार ने ई-सिगरेट के इस्तेमाल से होने वाले गंभीर खतरे को देखते हुए 18 सितंबर को एक अध्यादेश के जरिए पूरे देश में ई-सिगरेट के आयात, उत्पादन, बिक्री, विज्ञापन, भंडारण और वितरण पर रोक लगा दी थी। प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के लिए एक वर्ष तक के कारावास अथवा एक लाख रुपए के जुर्माने या दोनों की सजा का प्रावधान किया गया है। ई-हुक्का, हीट नोट बर्न उत्पाद आदि युक्तियों पर भी इसी अध्यादेश के तहत रोक लगायी गई है। इस अध्यादेश के स्थान पर ही सरकार ने विधेयक पेश किया है।
केंद्रीय मंत्री ने दी ई-सिगरेट से होने वाले नुकसान की जानकारी
चर्चा के दौरान डॉ. हर्षवर्द्धन ने ई-सिगरेट से होने वाले नुकसान का विस्तार से विवरण देते हुए कहा कि ई-सिगरेट से कई प्रकार के विषैले पदार्थ निकलते हैं जिससे कई बीमारियां होती हैं और इसका जहर अचानक शरीर के किसी भी हिस्सों को प्रभावित करता है। ई-सिगरेट में निकोटिन पाया जाता है और अगर निकोटिन का सेवन शुद्ध रूप में किया जाय तो कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है। पहले निकोटिन सल्फेट का प्रयोग कीटनाशक के रूप में किया जाता था लेकिन इस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।