जयपुर। पूर्व सीएम को आजीवन सरकारी बंगला, ड्राइवर व वाहन सहित नौ जनों का स्टॉफ मुहैया कराने के संशोधित कानून रद्द करने के आदेश का पालन नहीं होने पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व मुख्य सचिव डीबी गुप्ता को अवमानना नोटिस जारी किए हैं। अदालत ने पूछा है कि अदालत के आदेश का पालन क्यों नहीं किया?
जस्टिस गोवर्धन बाढ़दार व अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह निर्देश सोमवार को मिलापचंद डांडिया की अवमानना याचिका पर दिया। अधिवक्ता विमल चौधरी ने बताया कि हाईकोर्ट ने 4 सितंबर के आदेश से पूर्व सीएम को सुविधाएं देने के संशोधित कानून को असंवैधानिक व गैर-कानूनी घोषित किया था। सरकार ने पूर्व सीएम को दी सुविधाएं वापस नहीं ली हैं।
वसुंधरा सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधाएं दीं
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान मंत्री वेतन अधिनियम-1956 में संशोधन करके धारा 7(बीबी) के तहत राज्य में लगातार पांच साल तक मुख्यमंत्री रहने वाले को मुफ्त में मुख्यमंत्री या मंत्री के समान बंगला,राज्य और राज्य के बाहर भी स्वयं व परिवार के लिए ड्राइवर सहित सरकारी कार,बंगले पर टेलिफोन व संचार की सभी सुविधाएं और दस कर्मचारियों का स्टॉफ देने का प्रावधान कर दिया था।
इन सुविधाओं को नहीं लेने या नहीं मिलने पर इन सुविधाओं पर खर्च होने वाली राशि के समान राशि देने का भी प्रावधान था। साथ ही पांच साल से कम समय के लिए मुख्यमंत्री रहने वालों को धारा-11(2) के तहत इस संशोधन से पहले मिल रही मुफ्त सरकारी सुविधाओं को जीवन पर्यंत जारी रखने का प्रावधान कर दिया था।
बंगला नंबर-14 का मामला
राज्य सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिशासी अभियंता अनिल पारीक ने महानगर की एडीजे कोर्ट-15 के पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत के परिजनों को सिविल लाइंस स्थित बंगला नंबर-14 के आवंटन से जुड़े केस में परिजनों की अपील शनिवार को खारिज होने के बाद सोमवार को शेखावत के परिजनों को बंगला जल्द खाली करने का नोटिस भेजा। शेखावत के गोद लिए नवासे विक्रमादित्य सिंह को भेजे गए नोटिस में कहा कि एडीएम ने 7 अक्टूबर को तीस दिन में उन्हें बंगला नंबर-14 खाली करने का निर्देश दिया था। इस आदेश को चुनौती देने वाली उनकी अपील एडीजे-15 कोर्ट ने खारिज कर दी है। इसलिए वे जल्द से जल्द बंगला खाली कर उसका कब्जा संभलाएं।
एडीजे कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे
पूर्व उपराष्ट्रपति के परिजनों के वकील विमल चौधरी ने कहा कि वे एडीजे कोर्ट के 16 नवंबर के उनकी अपील खारिज करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। शेखावत के परिजनों ने एडीजे कोर्ट में दायर की अपील में एडीम-द्वितीय जयपुर के 7 अक्टूबर 2019 के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें परिजनों को 30 दिन में बंगला नंबर-14 खाली करने का निर्देश दिया था। एडीएम ने यह आदेश राज्य सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग के 2017 में दायर किए प्रार्थना पत्र पर दिया था।