नई दिल्ली। डीजल और औद्योगिक ईंधन की खपत घटने और उसके कारण पेट्रोल और एलपीजी की खपत में भी सुस्ती आने से देश में ईंधन की मांग सितंबर में घटकर दो साल से अधिक के निचले स्तर पर आ गई। पेट्रोलियत प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के आंकड़ों के मुताबिक पेट्रोलियम उत्पादों की खपत सितंबर में घटकर 1.601 करोड़ टर रह गई। यह जुलाई 2017 के बाद सबसे कम है। एक साल पहले इसकी खपत 1.606 करोड़ टन थी।
डीजल की मांग 3.2 फीसदी घटी
इस दौरान डीजल की मांग 3.2 फीसदी घटकर 58 लाख टन रह गई। डीजल देश में सबसे अधिक उपयोग होने वाला ईंधन है। नाप्था की बिक्री 25 फीसदी घटकर 8.44 लाख टन रह गई। सड़क निर्माण में काम आने वाले बिटुमेन की खपत 7.3 फीसदी घटकर 3.43 लाख टन रह गई। फ्यूल ऑयल की बिक्री 3.8 फीसदी घटकर 5.25 लाख टन रह गई। इनकी गिरावट से एलपीजी और पेट्रोल की मांग में बढ़ोतरी पर भी नकारात्मक असर पड़ा।
पेट्रोल की मांग 6.2 फीसदी बढ़ी
पेट्रोल की बिक्री 6.2 फीसदी बढ़कर 23.7 लाख टन रही, जबकि विमान ईंधन (एटीएफ) की बिक्री 1.6 फीसदी घटकर 6.66 लाख टन रह गई। एलपीजी की खपत 6 फीसदी बढ़कर 21.8 लाख टन पर पहुंच गई। सरकार गांवों में जलावन की जगह एलपीजी के उपयोग को बढ़ावा दे रही है, ताकि प्रदूषण घटे और खास तौर से महिलाओं के स्वास्थ्य की रक्षा हो। मिट्टी तेल (केरोसिन) की मांग करीब 38 फीसदी घटकर 1.76 लाख टन रह गई। पेट्रोलियम कोक की खपत हालांकि 18 फीसदी बढ़कर 17.3 लाख टन रही।
फिच ने घटाया देश में ईंधन की मांग में बढ़ोतरी का अनुमान
इस बीच अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच सोल्यूशंस ने देश की तेल संबंधी मांग के अपने अनुमान को घटा दिया है। यह देश की अर्थव्यवस्था में और गिरावट होने और विकास दर घटने की आशंका को बढ़ा रहा है। फिच ने 2021 तक ईंधन की मांग में औसतन वृद्धि के अपने अनुमान को 4.6 फीसदी से घटाकर 3.8 फीसदी कर दिया है।