नई दिल्ली। भारतीय रोड़ पर स्वदेशी ड्राइवरलेस का सपना जल्द पूरा हो सकता है। इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) और विप्रो ने आपस में साझेदारी करने का ऐलान किया है। दोनों कंपनियों ने मार्च साल 2020 तक भारत में ड्राइवरलेस कार दौड़ाने का लक्ष्य तय किया है। इस कार से भारी ट्रैफिक में एक्सीडेंट रेट में कमी आएगी। साथ ही पैसेंजर, यात्रियों की सेफ्टी में इजाफा हो सकेगी।
विप्रो की तरफ से इस ड्राइवरलेस कार को लेकर तीन साल से प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इसे लेकर यूरोप और अमेरिकन रोड के हिसाब से डाटा तैयार किया गया है। हालांकि अब इस डाटा के जरिए भारतीय रोड के हिसाब से कार बनाने की चुनौती होगी। विप्रो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम और रोबोटिक के हेड डॉ. रामचंद्र बुदिहाल के मुताबिक उनकी टीम भारतीय रोड़ कंडीशन के मुताबिक कटिंग एज पर काम तकनीक पर काम कर रही है। ऐसे में भारतीय रोड के हिसाब से कार बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
200 लोगों की टीम काम में जुटी
ड्राइवरलेस कार को बनाने के प्रोजेक्ट में करीब 200 लोग जुड़े हैं। इसमें IISc के 6 अलग-अलग डिपार्टमेंट के लोग काम कर रहे हैं।वहीं डाटा कलेक्शन और सेंसर के काम में बैंग्लुरु में पिछले 6 माह से काम चल रहा है। टीम ने ड्राइवरलेस कार में करीब 28 सेंसर लगाकर टेस्टिंग कर रही है। हालांकि यह अभी शुरुआती चरण है, जिसमें वक्त लग सकता है।