एक्सपोर्टर्स को 50,000 करोड़ का बूस्टर डोज, एक जनवरी से नई स्कीम लागू

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    नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए शनिवार को सरकार ने एक और बड़ी घोषणा की। निर्मला सीतारमण ने निर्यातकों को नए इंसेंटिव के तहत 50,000 करोड़ रुपए के पैकेज देने का ऐलान किया। यह पैकेज आगामी एक जनवरी से मान्य होगा।

    नई घोषणा के तहत निर्यातकों को अब मर्चेनडाइज एक्सपोर्ट फ्राम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) के तहत मिलने वाले इंसेंटिव की जगह रेमिशन ऑफ ड्यूटी और टैक्स ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट (आरओडीटीईपीटी) के तहत कई प्रकार की आर्थिक मदद मिलेगी। सीतारमण ने बताया कि नए प्रकार के इंसेंटिव से सरकार पर 50,000 करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। उन्होंने बताया कि नई स्कीम आगामी एक जनवरी, 2020 से लागू होगा।

    अगले साल एक जनवरी से एमईआईएस स्कीम पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। उन्होंने बताया कि नई स्कीम का लाभ सभी प्रकार की वस्तुओं के निर्यात एवं सेवा निर्यात को मिलेगा। इस साल 31 दिसंबर तक एमईआईएस स्कीम मान्य रहेगी क्योंकि निर्यातक इस स्कीम के हिसाब से आर्डर ले चुके हैं।

    सबसे बड़ी बात है कि नई स्कीम विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के मुताबिक होगी। अब सरकार की तरफ से निर्यातकों को दिए जाने वाले इंसेंटिव को डब्ल्यूटीओ में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। अभी वस्तुओं के निर्यात में गिरावट का दौर चल रहा है। अगस्त माह के निर्यात में पिछले साल के अगस्त के मुकाबले 6.05 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

    इलेक्ट्रॉनिक रिफंड की व्यवस्था
    वित्त मंत्री ने बताया कि इस माह से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के रिफंड की व्यवस्था पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक हो जाएगी। यह व्यवस्था सितंबर से ही लागू होगी। इससे निर्यातकों को आसानी से रिफंड मिल सकेगा और उन्हें वर्किंग कैपिटल की दिक्कत नहीं होगी।

    कर्ज देने में निर्यातकों को तरजीह
    सीतारमण ने कहा कि बैंक की तरफ से निर्यातकों को कर्ज देने में प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने बताया कि निर्यातकों को 36,000 करोड़ से 68,000 करोड़ रुपए कर्ज के रूप में दिए जाएंगे। निर्यताकों की यह शिकायत रही है कि उन्हें कर्ज देने में बैंक की तरफ से आनाकानी की जाती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। निर्यात सेक्टर को मिलने वाले कर्ज की विस्तृत जानकारी आरबीआई जारी करेगा। एक डैश बोर्ड भी होगा जिसे देखकर हर कोई रियल टाइम जानकारी ले सकेगा।

    सभी बंदरगाहों को वैश्विक स्तर का बनाया जाएगा
    सीतारमण ने बताया कि हमारे देश के बंदरगाहों से निर्यात के लिए सामान को भेजने में दुनिया के अन्य बंदरगाहों के मुकाबले ज्यादा है। उन्होंने बताया कि बोस्टन बंदरगाह पर सामान को भेजने में सिर्फ 0.55 दिन लगते हैं, शंघाई के लिए यह समय 0.83 दिन है जबकि भारत के कोच्चि से सामान को भेजने में 1.10 दिन लगते हैं। उन्होंने बताया कि अगले तीन महीने में भारत के बंदरगाहों को भी वैश्विक स्तर का बना दिया जाएगा। दिसंबर, 2019 से भारत के बंदरगाहों से भी सामान भेजने में कम समय लगेंगे।

    मुक्त व्यापार समझौते की समीक्षा
    वित्त मंत्री ने बताया कि भारत ने कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) किया है, लेकिन उनका फायदा भारत को उम्मीद के मुताबिक नहीं मिल रहा है। सरकार ने फैसला किया है कि वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के साथ मिलकर एफटीए की समीक्षा करेंगे और निर्यातकों को उस एफटीए के तहत फायदा उठाने के उपाय बताएंगे।

    गुणवत्ता की जांच
    सीतारमण ने बताया कि गुणवत्ता की जांच जरूरी है और आयातित वस्तुओं की भी गुणवत्ता की जांच की जाएगी। वहीं निर्यातकों को एक तय समय सीमा में तकनीकी प्रणाली को अपनाना होगा ताकि निर्यात होने वाले उत्पादों की गुणवत्ता बेहतर हो सके।

    हैंडीक्राफ्ट्स के ई-निर्यात को बढ़ावा
    हैंडीक्राफ्ट्स के ई-निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक शिल्पकारों को निर्यात के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। शिल्पकारों को ई-प्लेटफार्म पर पंजीकृत किया जाएगा। इस काम में एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल की मदद ली जाएगी।