मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को बैंकों को निर्देश दिया कि एक अक्टूबर 2019 से वे हाउसिंग, पर्सनल और एमएसएमई के लिए सभी नए फ्लोटिंग लोन को निर्धारित बाहरी बेंचमार्क से जोड़ दें, जिनमें रेपो भी शामिल है। आरबीआई ने मुख्य ब्याज दर में कटौती का लाभ तेजी से ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए बैंकों को यह निर्देश दिया है।
आरबीआई ने साथ ही कहा कि बाहरी बेंचमार्क के तहत तय की जाने वाली ब्याज दर को तीन महीने में कम से कम एक बार संशोधित किया जाएगा। गौरतलब है कि करीब दर्जनभर बैंकों ने अपनी कर्ज दरों को आरबीआई की रेपो दर से जोड़ दिया है।
आरबीआई ने अपने बयान में कहा कि मुख्य ब्याज दर में होने वाले बदलाव का एमसीएलआर आधारित लोन की दरों में स्थानांतरण का अब तक का रिकॉर्ड संतोषजनक नहीं रहा है। इसलिए आरबीआई ने एक सकुर्लर जारी कर बैंकों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे एक अक्टूबर 2019 से पर्सनल या रिटेल या एमएसएमई के लिए सभी नए लोन की फ्लोटिंग ब्याज दर को एक बाहरी बेंचमार्क से जोड़ दें।