नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर अपनी ढेरों तस्वीरें पोस्ट करने वाले लोगों में आप भी शामिल हैं तो उनकी प्रिवेसी को लेकर जरूर अलर्ट हो जाएं। इंटरनेट पर सिलेब्रिटीज और ऐक्टर्स की ढेरों फेक पॉर्न तस्वीरें मौजूद हैं और एक्सपर्ट्स की मानें तो किसी की भी ऐसी पॉर्न तस्वीरें या विडियो बनाना इंस्टाग्राम फिल्टर लगाने जितना आसान हो गया है।
विडियो वेरिफिकेशन कंपनी Amber के सीईओ शमीर अलीभाई ने बताया कि अब आम यूजर्स भी रिस्क पर हैं क्योंकि क्योंकि डीपफेक पॉर्न बनाना बेहद आसान हो गया है और जल्द हर किसी तक इसकी पहुंच होगी।
शमीर का मानना है कि इससे रिवेंज पॉर्न के मामले बढ़ेंगे और लोगों के रिश्तों पर बुरा असर पड़ेगा। किसी के फेक पॉर्न फोटो बनाकर उसे बदनाम करना इस टेक्नॉलजी की मदद से आसान होगा, जिसके परिणाम बुरे हो सकते हैं।
अलीभाई ने कहा, ‘बहुत जल्द फेक पॉर्न तैयार करना अभी इंस्टाग्राम पर फिल्टर बदलने जितना आसान हो जाएगा और इसका निशाना सबसे पहले महिलाओं को बनाया जाएगा, जो इस डीपफेक टेक्नॉलजी को एक हथियार बना देता है।’ उन्होंने कहा कि यह खतरा दो स्तर पर है, सबसे पहले तो रिश्ते टूटेंगे और दूसरे स्तर पर लोगों को ब्लैकमेल किया जा सकता है।
कई सिलेब्स के फेक विडियो
अलीभाई ने कहा, ‘अगर फेक पॉर्न विडियो और फोटो वेरिफाइ करने से जुड़े सॉल्यूशंस नहीं हुए तो बड़े स्तर पर समाज में भ्रम की स्थिति पैदा होगी। लोगों का एकदूसरे पर भरोसा कम हो जाएगा और सब हर चीज को शक की नजर से देखेंगे। ऐसा होने पर नागरिकों के बीच भरोसा खत्म हो जाएगा, जो समाज की नींव है।’
हॉलिवुड ऐक्ट्रेस स्कारलेट जॉनसन समेत कई सिलेब्स के डीपफेक पॉर्न विडियोज पहले ही इंटरनेट पर सामने आ चुके हैं। कई डीपफेक विडियो ऐसे भी हैं, जो पॉर्न नहीं हैं लेकिन उनमें डोनाल्ड ट्रंप, बराक ओबामा और मार्क जकरबर्ग से जैसे चेहरे ऐसी बातें बोलते दिख रहे हैं, जो उन्होंने कभी नहीं कहीं।
ऐसे काम करता है डीपफेक
डीपफेक पॉर्न को लेकर अलग से कोई कानून भी नहीं तैयार किया गया है। दरअसल, डीपफेक्स ऐसे डाउनलोडेबल ऐप्स होते हैं, जो आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की मदद से आसानी से पॉर्न विडियोज में चेहरे बदल देते हैं।
इसके लिए यूजर को पहले ऐसा पॉर्न विडियो ट्रैक करना होता है, जिसमें दिख रहा चेहरा ऐक्ट्रेस या टारगेट से मिलता-जुलता हो। इसके बाद टारगेट की ढेरों तस्वीरों को फीड कर दिया जाता है और मशीन लर्निंग एल्गोरिथ्म चेहरे को फ्रेम-बाई-फ्रेम विडियो में सेट कर देता है। इस तरह असली सा दिखने वाला फेक पॉर्न विडियो बन जाता है।