कोटा। महावीर नगर विस्तार योजना स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी संघ के पावन वर्षायोग के अवसर पर माताजी ने प्रवचन करते हुए कहा कि इस संसार में सभी जीव चाहते हैं कि हमारे जीवन में सुख शांति हो। यदि आप भी जीव में सुख की चाहना करते हैं, तो हमेशा दीन, दुखियों के कष्ट को दूर करने का प्रयास करो। तुम्हारे जीवन से दुख अपने आप दूर हो जाएंगे।
इस दुनिया में इस मनुष्य पर्याय में आपने महान पुण्ययोग से जन्म पाया है। इस छोटे से जीवन में अपने शत्रु नहीं मित्र पैदा करो। यदि आप किसी से शत्रुत्व का व्यवहार करते हैं तोे आप इस भव और पर भव में अपने लिए शत्रु ही पैदा करते हैं। आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी ने कहा कि दया वो शक्ति है, जो मनुष्यों को ही नहीं बल्कि कर तिर्यचों को, पशुओं को भी मित्र बना देती है।
सब धर्मों का सार है दया। दया ही व्यक्ति को धर्मात्मा बनाती है, आप यदि किसी जीव पर दया कर रहें हैं तो अंजान व्यक्ति भी आपके उस व्यवहार को देखकर कह देगा कि आप बड़े धर्मात्मा हैं। जगत में ये बात अच्छी तरह से प्रसिद्धि को प्राप्त है कि दुनिया में मारने वाले से बचाने वाला श्रेष्ठ माना जाता है। जिसके अंदर दया होती है वो ही दूसरों को जीवन दान दे सकता है।