श्रीहरिकोटा। चंद्रयान-2 चांद से अब बस ‘चार कदम’ की दूरी पर है। 22 जुलाई को मिशन पर निकला चंद्रयान-2 मंगलवार को बेहद सटीकता के साथ पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चांद की कक्षा में प्रवेश कर गया। इसरो चीफ के. सिवन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि अब चार कक्षाओं को पार कर चंद्रयान 7 सितंबर की रात 1 बजकर 55 मिनट पर चांद की सतह पर लैंड करेगा। .
इसरो चीफ के सिवन ने बताया कि सुबह 9 बजे चांद की कक्षा में पहुंचा चंद्रयान-2 । उन्होंने कहा कि इस दौरान 30 मिनट तक उनकी धड़कनें तक रुक गईं थीं। उन्होंने बताया कि अभी चंद्रयान-2 चांद की परिक्रमा कर रहा है।
सिवन ने बताया, ‘हम पूरी तरह से एक्यूरेसी पर काम कर रहे हैं ताकि मिशन चंद्रयान-2 को चांद के दक्षिणी सतह पर उतार सके। 28, 30 अगस्त और 1 सितंबर को चंद्रयान-2 को 18 हजार किलोमीटर की ऊंचाई से 100/100 किलोमीटर की ऊंचाई तक लाया जाएगा।
2 सितंबर को लैंडर से अलग होगा ऑर्बिटर
2 सिंतबर को लैंडर ऑर्बिटर से अलग होगा। इसरो चीफ ने बताया कि इसके बाद सारा ध्यान लैंडर पर केंद्रित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि 3 सितंबर को लैंडर की पूरी जांच होगी। सिवन ने इस चरण को बेहद दिलचस्प तरीके से समझाते हुए कहा कि यह कुछ ऐसा ही होगा जैसे कोई दुलहन अपने माता-पिता के घर से विदा लेकर ससुराल में प्रवेश करती है।
‘इसके बाद लैंडर पर होगा ध्यान’
उन्होंने बताया कि इसके बाद लैंडर पर हमारा ध्यान होगा। ताकि यान आसानी से चांद की सतह पर उतर सके। जब हम सबकुछ सही पाएंगे तो चंद्रयान-2 को चांद पर उतराने की प्रक्रिया शुरू होगी।
चांद के दक्षिणी हिस्से में उतरेगा चंद्रयान-2
सिवन ने बताया कि 7 सितंबर की रात में पावर मिशन शुरू होगा और रात 1.55 मिनट पर 27 डिग्री साउथ 22 डिग्री ईस्ट चांद की दक्षिणी सतह पर उतरेगा यान। 3 घंटे 10 मिनट बाद रोवर का सोलर पैनल काम करना शुरू करेगा। 3 घंटे बाद रोवर प्रज्ञान लैंडर से निकलेगा। 4 घंटे बाद रोवर चांद की सतह पर उतरेगा। सिवने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि 7 सिंतबर को देर रात 1.55 चांद की सतह पर उतरेंगे। इसके बाद मिशन के दूसरे काम शुरू किए जाएंगे।
‘चांद की कक्षा में जाने तक रुकी हुई थीं धड़कनें’
सिवन ने चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा में प्रवेश करने करने के मुश्किल क्षण को बताते हुए कहा कि जबतक चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में आज नहीं पहुंच गया तबतक 30 मिनट के लिए आज हमारे हृदय की धड़कनें रुकी हुई थीं।
‘लैंडिंग होगा बेहद मुश्किल’
इसरो चीफ ने कहा कि लैंडिंग बड़ा ही खतरनाक होगा। क्योंकि हम ऐसा पहली बार करेंगे। लेकिन हमें उम्मीद है कि हम इसमें सफल होगा। सॉफ्ट लैंडिंग का सक्सेस रेट 37% है। लेकिन हमें भरोसा है कि हम इसमें सफल होंगे। हमने सभी तरह की तैयारी की है। जो भी संभव होगा हम करेंगे।
7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरेगा चंद्रयान-2
बता दें कि चंद्रयान-2 के 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरेगा। इसरो चीफ सिवन ने बताया कि चंद्रमा की सतह पर 7 सितंबर 2019 को लैंडर से उतरने से पहले धरती से दो कमांड दिए जाएंगे, ताकि लैंडर की गति और दिशा सुधारी जा सके और वह धीरे से सतह पर उतरे। ऑर्बिटर और लैंडर में फिट कैमरे लैंडिंग जोन का रियल टाइम असेस्मेंट उपलब्ध कराएंगे। लैंडर में नीचे लगा कैमरा सतह को छूने से पहले इसका आकलन करेगा और अगर किसी तरह की बाधा हुई तो उसका पता लगाएगा। सिवन ने बताया कि7 सितंबर को 1.55 AM पर चंद्रयान-2 चांद की सतह पर उतरेगा।
जानें कैसे उतरेगा चंद्रयान-2
धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है। चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे। चांद की सतह पर उतरने के 4 दिन पहले रोवर ‘विक्रम’ उतरने वाली जगह का मुआयना करना शुरू करेगा। लैंडर यान से डिबूस्ट होगा। ‘विक्रम’ सतह के और नजदीक पहुंचेगा। उतरने वाली जगह की स्कैनिंग शुरू हो जाएगी और फिर 6-8 सितंबर के बीच शुरू होगी लैंडिंग की प्रक्रिया।
चांद की सतह पर क्या करेगा यान?
लैंडिंग के बाद 6 पहियो वाला प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से अलग हो जाएगा। इस प्रक्रिया में 4 घंटे का समय लगेगा। यह 1 सेमी प्रति सेकंड की गति से बाहर आएगा। 14 दिन यानी 1 लूनर डे के अपने जीवनकाल के दौरान रोवर ‘प्रज्ञान’ चांद की सतह पर 500 मीटर तक चलेगा। यह चांद की सतह की तस्वीरें और वहां मौजूद खनिज की मौजूदगी का पता लगाएगा। इसे विक्रम या ऑर्बिटर के जरिए 15 मिनट में धरती को भेजेगा।