कोटा। सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के तहत रिटर्न फाइल करने के संबंध में कारोबारियों की चिंता दूर करने की कोशिश तो की है, लेकिन नई व्यवस्था को आदत में शुमार करने के लिए करदाताओं को अभी थोड़ा समय लग सकता है। अभी तक यह कहा जा रहा था कि करदाताओं को महीने में तीन रिटर्न दाखिल करने पड़ेंगे। वित्त मंत्रालय ने बताया कि एक ही रिटर्न के तीन हिस्से हैं। इनमें से केवल 1 हिस्सा कारोबारी भरेगा और बाकी दोनों हिस्से कंप्यूटर खुद ही भर देगा।
रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया के बारे में सीनियर टैक्स कंसल्टेंट अनिल काला ने बताया कि जीएसटी के दायरे में आने वाले कारोबारियों को किसी भी महीने की बिक्री का रिटर्न अगले महीने की 10 तारीख तक जीएसटीआर 1 के नाम से भरना होगा। अगर कारोबारी इनपुट कर क्रेडिट लेना चाहते है, उनका सालाना कारोबार 20 लाख रुपये या उससे कम होने पर उन्हें रिटर्न नहीं भरना होगा।
यदि वे इनपुट कर क्रेडिट लेने के बजाय कंपोजिशन योजना अपनाते हैं तो 75 लाख रुपये तक कारोबार वालों को रिटर्न नहीं भरना होगा। सालाना 1.50 करोड़ रुपये तक कारोबार वालों को दिनांकवार रिटर्न भरना होगा और उससे ज्यादा कारोबार वालों को बिलवार रिटर्न भरना होगा। चूंकि अधिकतर कारोबारी 1.50 करोड़ रुपये सालाना कारोबार करने वाले हैं, इसलिए उन्हें बिलवार रिटर्न भरना होगा।
काला ने बताया कि बिक्री के रिटर्न के आधार पर बाकी दो हिस्से कंप्यूटर खुद ही तैयार कर देगा। आपने जो कुछ खरीदा होगा, उसका रिटर्न जीएसटीआर 2ए में होगा और आपकी कर देनदारी अथवा इनपुट कर क्रेडिट का हिसाब-किताब जीएसटीआर 3ए में होगा। जरूरत पडऩे पर महीने की 15 तारीख तक जीएसटीआर 2ए में और 20 तारीख तक जीएसटीआर 3ए में तब्दीली की जा सकती हैं।
काला ने बताया कि तब्दीली की जरूरत नहीं है तो करदाता कंप्यूटर के जरिये तैयार जीएसटीआर 2ए और जीएसटीआर 3ए की नकल कर जीएसटीआर 2 और जीएसटीआर 3 भर देगा। जीएसटीआर 2 का मिलान खरीद के रिकॉर्ड से करना होगा और उसमें आपूर्तिकर्ता से संपर्क करने के बाद संशोधन करना पड़ सकता है।
उन्होंने बताया कि रिटर्न की जांच करने और संशोधन के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट की जरूरत पड़नी ही है। ‘जब आपूर्तिकर्ताओं से आपके पास रिटर्न आएगा तो आपको उसे खरीद रिटर्न से मिलाना होगा। इसके लिए आपूर्तिकर्ता से बात करनी होगी और रिटर्न में तब्दीली भी करनी पड़ सकती है।’