नई दिल्ली। उद्योग जगत ने सरकार से इलेक्ट्रिक परिवहन को वाहन उद्योग तथा बाजार पर थोपने के बजाय उसकी प्रौद्योगिकी तथा ग्राहकों और बाजार के बीच स्वत: स्वीकार्यता विकसित होने देने की वकालत करते हुए कहा है कि तब तक बहु-वैकल्पिक व्यवस्था रखी जा सकती है।
वाहन निर्माता कंपनियों के संगठन सियाम ने रविवार को कहा कि वह इलेक्ट्रिक परिवहन को बढ़ावा देने की नीति आयोग की मुहिम का समर्थन करती है, लेकिन सरकार को अपने रुख को व्यावहारिक रखना चाहिए और इस उद्योग को “अनावश्यक नुकसान पहुंचाने से” बचना चाहिए।
सियाम के अध्यक्ष राजन बढ़ेरा ने एक बयान जारी कर कहा कि देश में इलेक्ट्रिक परिवहन को यथाशीघ्र लाने की नीति आयोग की महत्त्वाकांक्षी आकांक्षा का वाहन उद्योग पूरा समर्थन करता है। लेकिन, यह अनावश्यक रूप से वाहन उद्योग को नुकसान पहुंचाए बिना भी संभव है और इसलिए इस महत्त्वाकांक्षा को व्यावाहारिक स्तर पर लाने की जरूरत है।
वढ़ेरा ने कहा कि आज वाहन उद्योग के समक्ष कई चुनौतियां हैं। उसे बीएस-4 के बाद सीधे बीएस-6 को अपनाना है तथा कई नए सुरक्षा मानकों का पालन करना है और यह सब इतने कम समय करना है जिसकी दुनिया में कोई मिसाल नहीं है। इन सब के लिए उद्योग 70,000 से 80,000 करोड़ रुपए का बड़ा निवेश कर रहा है।
उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस निवेश की वसूली से पहले ही सरकार पारंपरिक अंत:दहन इंजनों को प्रतिबंधित करने पर विचार कर रही है। वह 2023 तक अंत:दहन वाले तिपहिया वाहनों और 2025 तक ऐसे दुपहिया वाहनों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध की तैयारी कर रही है। यह अव्यावहारिक तथा असामयिक है।
सभी हितधारकों से विचार विमर्श के बाद हो फैसला
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने कहा कि बाजार कारकों तथा सकारात्मक नीति किसी भी नवाचार के मूल में है तथा हमें उम्मीद है कि परिवहन की नई प्रौद्योगिकियों की तैयारी करते हुए भारत को भी यही रुख अख्तियार करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को सभी हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद ही कोई फैसला करना चाहिए।
पहले पारंपरिक इंजन के साथ ही इलेक्ट्रिक इंजन वाले वाहनों की बिक्री जारी रखनी चाहिएऔर बाद में जब यह ग्राहकों की क्रय सीमा भीतर आ जाए तथा प्रौद्योगिकी पूरी तरह विकसित हो जाए तब पूरी तरह इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना चाहिए।
जबरन नीति थोपने से बढ़ेगी बेरोजगारी
उन्होंने कहा कि दुपहिया तथा तिपहिया वाहनें के कलपुर्जों की आपूर्ति करने वाली इकाइयों की बड़ी संख्या छोटे तथा मध्यम उद्योग की श्रेणी में है जो वाहन उद्योग की रीढ़ हैं। वाहन उद्योग, सरकार या आपूर्तिकर्त्ताओं में से किसी के पास इलेक्ट्रिक वाहनों के संबंध में इतना अनुभव नहीं है कि वे 2023/2025 तक पूरी तरह इलेक्ट्रिक दुपहिया तथा तिपहिया वाहनों के बाजार की परिकल्पना को मूर्तरूप दे सके। यदि कोई नीति जबरन थोपने की कोशिश की गई तो इससे वाहन उद्योग को नुकसान पहुंचेगा तथा सीधे-सीधे रोजगार प्रभावित होगा।