नई दिल्ली। 20 जून को मोदी-2.0 सरकार के दूसरे कार्यकाल में जीएसटी काउंसिल की पहली बैठक होगी। इस बैठक में वित्त मंत्रालय कंपनी से कंपनी के बीच खरीद-फरोख्त (बिजनेस टू बिजनेस) के लिए केंद्रीकृत सरकारी पोर्टल पर ई-इनवॉइस (e-invoice) क्रिएट करने की प्रस्तावित व्यवस्था पर विचार कर सकता है।
इसका लक्ष्य जीएसटी की चोरी को रोकना है। इसके साथ ही इससे इनवॉइस का दुरुपयोग भी रुकेगा। बता दें कि ये प्रस्ताव 50 करोड़ रुपये या उससे अधिक के कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए पास हो सकता है। इसका निर्णय राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ परामर्श कर ही लिया जाएगा।
कंपनियों की ओर से प्रस्तुत विवरणों के विश्लेषण से पता चला कि साल 2017-18 में 68,041 कंपनियों ने 50 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार दिखाया है। इन कंपनियों का जीएसटी में कुल योगदान 66.6 फीसदी रहा। बता दें कि जीएसटी भुगतान करने वाली कुल इकाइयों में ऐसी कंपनियों का हिस्सा केवल 1.02 फीसदी है। हालांकि बिजनेस टू बिजनेस इनवॉइस निकालने के मामले में इनकी हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है।
इस संदर्भ में एक अधिकारी ने बताया कि, ‘जीएसटी काउंसिल के सहमत होने पर बिजनेस टू बिजनेस बिक्री के लिए ई-इनवॉइस सृजित करने को लेकर इकाइयों के लिये कारोबार सीमा 50 करोड़ रुपये तय की जा सकती है। इस सीमा के साथ बड़े करदाता जिनके पास अपने साफ्टवेयर को एकीकृत करने की बेहतर प्रौद्योगिकी है, उन्हें बिजनेस टू बिजनेस बिक्री के लिये ई-इनवॉइस सृजित करना होगा।
इनको मिलेगी राहत
इससे 50 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली इकाइयों को रिटर्न फाइल करने और इनवॉइस अपलोड करने के दो काम से राहत मिलेगी। मंत्रालय ई-इनवॉइस प्रणाली सितंबर से शुरू करने की योजना बना रहा है।