दाल की बढ़ती कीमतों पर मोदी सरकार का एक्शन, 16 लाख टन दाल का होगा भंडारण

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नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख राम विलास पासवान ने एक बार फिर खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री का कार्यभार संभाल लिया। मंत्रालय में उन्होंने अफसरों को ताकीद दी कि किसी भी हालात में दाल की कीमत बेकाबू नहीं होनी चाहिए। पासवान ने शुरुआती 100 दिनों में 16 लाख टन दाल और 50,000 टन प्याज के भंडारण के लिए जरूरी कदम उठाने का लक्ष्य रखा है। सरकार भंडारण की मदद से बाजार में बढ़ती कीमतों को थामेगी।

15 से 20 रुपए महंगी हो गई है दाल
दाल की फसल कमजोर होने और आयात के कड़े नियमों के चलते दालों के दाम आसमान छूने लगे हैं। महीनेभर पहले 72 रुपये बिकने वाली अरहर दाल प्रति किलो 15 से 18 रुपये तक महंगी हो गई है। वहीं, मसूर दाल व चना दाल की कीमतें भी तेजी से बढ़ी हैं। दिल्ली में खुदरा बाजार में अरहर 90 से 100 रुपए प्रति किलो तक बिक रही है।

इंडियन पल्सेज ऐंड ग्रेंस एसोसिएशन के वाइस-प्रेसिडेंट बिमल कोठारी ने कहा, ‘दो साल से ज्यादा लंबे समय के बाद तुअर की कीमतों में तेजी का रुख है। हमें लगता है कि दलहन की खेती वाले इलाकों में मॉनसून अनियमित रहा है। इन स्थिति के बाद सरकार तूअर और अन्य दालों का इंपोर्ट कोटा बढ़ा सकती है।’

दिल्ली के एक व्यापारी ने बताया, ‘सरकार सिर्फ अरहर के 7-8 लाख टन अतिरिक्त कोटा की मंजूरी दे सकती है। वहीं, सरकार और सरकारी एजेंसियों के पास दूसरी दालों का स्टॉक है और वे जरूरत पड़ने पर सप्लाई बढ़ा सकती हैं।’

कई देशों से दाल आयात करता है भारत
कोठारी ने कहा कि दुनियाभर में अरहर की पैदावार कम रही थी, वहीं भारत ने पिछले कुछ साल से इसके आयात पर पाबंदी लगा रखी है। भारत मोजांबिक, मलावी और तंजानिया से अरहर के अलावा म्यांमार से उड़द और कनाडा, यूक्रेन और रूस से पीली मटर का आयात करता है।

ऑल इंडिया मिलर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सुरेश अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने देश में पीली मटर की कम आपूर्ति को देखते हुए वाणिज्य मंत्री से 4 लाख टन अतिरिक्त आयात की मंजूरी देने की अपील की थी। उन्होंने कहा, ‘मॉनसून और सरकार की रणनीति से दालों के भाव पर बड़ा असर पड़ेगा। अगर मॉनसून कमजोर रहता है तो हमें आयात बढ़ाना पड़ सकता है।’ गौरतलब है कि रबी सीजन में अरहर की पैदावार में 12-15 फीसदी तक गिरावट आई है।

100 दिवसीय कार्ययोजना में यह भी
मंत्री पासवान ने बताया कि ई-वाणिज्य दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देने, उपभोक्ता अदालतों और बीआईएस प्रयोगशालाओं का उन्नयन करने इत्यादि को भी इस कार्ययोजना का हिस्सा बनाया गया है। इसके अलावा मंत्रालय ने उपभोक्ता मामले विभाग में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के पांच पदों को भरने की भी पहचान की है।