आधार कार्ड के जनक नीलेकणी का रेलयात्री बुकिंग एप अवैध घोषित

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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ट्रेन ट्रैवल बुकिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली मोबाइल एप रेलयात्री को अवैध करार दिया है। रेलयात्री के पास इसका लाइसेंस तक नहीं था। इस ऐप में इंफोसिस के सह संस्थापक और यूआईडीएआई के पूर्व अध्यक्ष नंदन नीलेकणी, ओमिडयार नेटवर्क, हेलियन वेंचर्स और अन्य जाने-माने एंजेल इंवेस्टर्स का पैसा लगा है।

फैसले में अदालत ने कहा- ‘हमने पाया है कि स्टेलिंग टेक इस ऐप के जरिए ग्राहकों को रिटेल सर्विस प्रोवाइडर्स (आरएसपी) से जोड़ती है। वह ट्रेनों के टिकट बेचकर अपने वॉलेट में पैसा करके कमाई कर रही है जोकि गलत है।’

इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) ने आरएसपी के उन अधिकृत एजेंटों की पहुंच को रद्द कर दिया है, जिनका ट्रैवल ऐप से संपर्क था। आईआरसीटीसी ने पहले अधिकृत एजेंटों को ट्रेन बुकिंग के लिए अपने सॉफ्टवेयर तक पहुंच दे रखी थी। बाद में इन आरएसपी ने खुद को रेलयात्री से जोड़ लिया।

IRCTC ने दी थी यह दलील
आईआरसीटीसी की तरफ से अदालत में पेश हुए वकील निखिल मजीठिया ने कहा कि आईआरसीटीसी के अनुसार रेलयात्री की सेवाएं अनधिकृत हैं और आरएसपी ने उससे खुद को जोड़कर आईआरसीटीसी के साथ अपने अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन किया था।

वहीं स्टेलिंग ने अदालत को बताया कि रेलयात्री केवल एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जो ग्राहक और आईआरसीटी के अधिकृत एजेंट आरएसपी के बीच सूत्रधार की भूमिका निभाता है। स्टेलिंग ने कहा कि आरएसपी उन्हें मिली सुविधा के जरिए टिकट बुकिंग करते हैं और साइट टिकट बुकिंग को आसान बनाती है। मजीठिया ने कहा कि रेलवे मंत्रालय ने केवल आईआरसीटीसी को ई-टिकट के लिए अधिकृत किया है।

ऐसा है एप
यह ऐप ट्रेनों में टिकट बुकिंग के बारे में अनुमान जताने के लिए डीप-एनालिटिक्स तकनीक का इस्तेमाल करती है। उच्च न्यायालय ने यह फैसला तकनीकों की समीक्षा याचिकाओं को खारिज करते हुए सुनाया है। रेलयात्री ऐप पर स्टेलिंग टेक्नोलॉजीस का मालिकाना हक है। ट्रेवल ऐप ट्रेन, स्टेशन, प्लेटफॉर्म पर मौजूद यात्री सुविधा और ट्रेन की स्पीड के बारे में व्यापक जानकारी मुहैया करवाती है।

रिजर्व बैंक की डिजिटल भुगतान समिति के अध्यक्ष भी हैं नीलेकणी
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को नंदन नीलेकणि की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है. इसका मकसद डिजिटल भुगतान की मजबूती और सुरक्षा को लेकर सुझाव देना है।