मुंबई। नकदी संकट से जूझ रही पूर्णकालिक विमान सेवायें देने वाली निजी क्षेत्र की एयरलाइन जेट एयरवेज ने आखिरकार बुधवार को अपने विमान सेवा परिचालन को अस्थाई तौर पर रोकने की घोषणा कर दी। बैंकों के समूह द्वारा 400 करोड़ रुपये की त्वरित ऋण सहायता उपलब्ध कराने से इनकार कर दिये जाने के बाद एयरलाइन ने यह घोषणा की है।
जेट एयरवेज के परिचालन बंद करने के फैसले से जहां यात्रियों, एयरलाइन के आपूर्तिकर्ताओं का करोड़ों रुपया फंस गया है वहीं उसके 20 हजार से अधिक कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक गया है। एयरलाइन पर बैंकों का 8,500 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है जिसके चलते वह कर्ज संकट में फंसती चली गई।
करीब ढाई दशक तक लोगों को विमान सेवायें देने वाली एयरलाइन ने कहा कि बुधवार मध्यरात्रि को अमृतसर से नयी दिल्ली के लिये उसकी आखिरी उड़ान होगी। इसके बाद उसकी विमान सेवायें अस्थाई तौर पर बंद रहेंगी। नरेश गोयल द्वारा शुरू की गई जेट एयरवेज ने ढाई दशक तक लाखों यात्रियों को विमान सेवायें उपलब्ध कराई लेकिन 2010 के संकट के बाद एयरलाइन का कर्ज संकट गहराने लगा।
इस दौरान कंपनी को लगातार चार तिमाहियों में घाटा उठाना पड़ा। इसके बाद वह कर्ज के भुगतान में असफल होने लगी। पिछले साल दिसंबर में 123 विमानों के साथ परिचालन करने वाली कंपनी ने मंगलवार को केवल पांच विमानों के साथ परिचालन किया।
एयरलाइन ने बुधवार शाम जारी वक्तव्य में कहा, ‘‘ऋणदाता बैंकों की तरफ से आपात ऋण सहायता नहीं मिलने की वजह से हम परिचालन को जारी रखने के लिये ईंधन और दूसरी जरूरी सेवाओं के लिये भुगतान नहीं कर पायेंगे। इसलिये, तुरंत प्रभाव से हम अपनी सभी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों को अस्थाई रूप से निरस्त करने पर मजबूर हैं।
आज हमारी आखिरी उड़ान का परिचालन होगा।’’ नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने जेट की परिचालन बंद करने की घोषणा के कुछ देर बाद जारी ट्वीट में कहा कि वह जेट के समाधान प्रक्रिया का मौजूदा नियमों के दायरे में रहते हुये समर्थन करेगा। विमान कंपनी ने कहा कि वह ऋणदाताओं की ओर से बोलियों को अंतिम रूप दिये जाने की प्रक्रिया का इंतजार करेगी। इनके पास अंतिम वित्तीय बोली सौंपने के लिये 10 मई तक का समय है।